आनंद रंगनाथन ने अक्षय पात्र के समर्थकों से अपील की कि केवल जबानी समर्थन देने की बजाय अक्षय पात्र के कार्य के समर्थकों को अपना पैसा अपने समर्थन के रूप में लगाना चाहिए। तभी हिन्दूफ़ोबिक गिरोहों को जवाब मिलेगा।
पैलेट गन कश्मीर की जनता के भले के लिए है। यह उनके भले के लिए भी है, जो अपनी ही रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को चोट पहुँचाते हैं, वरना इसकी जगह अगर अन्य हथियारों का प्रयोग किया जाए तो CRPF ने जो कोर्ट में कहा - लोगों के मरने की संभावनाएँ बढ़ जाएँगी - वो सत्य हो जाएगा।
अगर मुगलों की बात करें तो बाबर ने 16वीं शताब्दी में दिल्ली में राज करना शुरू किया, जबकि चीनी यात्री ने उससे लगभग 900 वर्ष पूर्व भारत में अंगूरों और अंगूर के रस का जिक्र किया है। इससे पता चलता है कि 'द प्रिंट' के लेख में किया गया दावा बिलकुल ही ग़लत है।
काले दिल वाले इन असुरों की दृष्टि श्री कृष्ण के रथ पर है। यह हिन्दुओं पर है कि वह असुरों को रथ का पहिया तोड़ देने देते हैं, या आसुरिक इरादों को ही रथयात्रा के नीचे कुचल देते हैं...
विदेशी पत्रकार वेर्लेमन ने एक विडियो पोस्ट किया, जिसमें साजिद नाम का मुस्लिम युवक आपबीती सुना रहा है। इसमें वो साफ़-साफ़ कह रहा है कि उसे जेबकतरों ने रोका, लेकिन फिर भी इस विडियो को 'हिन्दुओं द्वारा मुस्लिमों पर हमले' के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
स्वनामधन्य न्यूज़ चैनल एनडीटीवी की वेबसाइट पर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद ही बिजली की तेज़ी से यह विश्लेषण प्रकाशित किया गया कि मोदी ने अजित डोभाल के 'पर क़तर दिए।'
रोजाना 17 लाख बच्चों का पेट भरने वाली एक संस्था को सिर्फ़ इसीलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि बच्चों को लहसुन-प्याज नहीं दिया जाता। सरकार द्वारा निर्धारित सभी मानकों पर खड़ा उतरने के बावजूद 'मिड डे मील' में जाति घुसेड़ कर इसे बदनाम किया जा रहा है।
तर्क हों तो आप लेख की शुरुआत विदेशी लेखक का नाम लेकर करें या फिर 'लगा दिही न चोलिया के हूक राजा जी' से, मुद्दे पर फ़र्क़ नहीं पड़ता। कुतर्क हों तो आप अपने पोजिशन का इस्तेमाल दंगे करवाने के लिए भी कर सकते हैं, कुछ लोग वही चाह रहे हैं।
राणा अय्यूब ये देखकर शायद अपने होशो-हवास गँवा बैठी कि उनके 'कट्टर दुश्मन' अमित शाह को देश का सौंपा गया है। इस बात से सदमे में डूबा राणा अय्यूब का दुखी हृदय ट्विटर पर फूट पड़ा और वो एक के बाद एक ट्वीट कर के भारत के नए गृह मंत्री के खिलाफ अपना जहर उगलते हुए देखी गई।
30 मई को जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनकी जाति-धर्म पर शोध हुए और खबरें बना दी गईं। जाति और धर्म का एंगल देकर निष्कर्ष ये निकाला गया कि मोदी सरकार ने भले ही ‘सबका साथ-सबका विकास’ करने की कितनी ही कोशिश क्यों न की हो, लेकिन उनकी मंत्रिपरिषद में ऊँची जाति वालों का ही आधिपत्य है।