मीडिया के कुछ बड़े नाम हैं, जो लदीदा और आयशा को वर्षों से तैयार कर रहे थे। एक 317 लोगों के कातिल याकूब की समर्थक है, दूसरी काफ़िरों के ख़िलाफ़ जिहाद की बात करती है। सूडानी आंदोलन की तर्ज पर इन्हें नायिकाओं की तरह पेश किया गया। जामिया के इस कमाल के स्क्रिप्ट का सूत्रधार कौन?
"लोग हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं? मुस्लिमों को बताइए यहाँ पर क्या दिक्कत है? उनको क्या परेशानी है? हमारे वहाँ पर हिंदू तकलीफ में हैं। उन पर अत्याचार होते हैं। तभी हम यहाँ आते हैं, कौन चाहता है अपना घर छोड़ना... कॉन्ग्रेस ने ही तो धर्म के नाम पर देश को बाँटा था। कॉन्ग्रेस सरकार में यह मुमकिन नहीं हो पाता।"
43 लोगों की जान लील चुके हादसे से केजरीवाल सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है। उसका कहना है कि सारी जिम्मेदारी एमसीडी की थी। उसकी अक्षमता को छिपाने के लिए केंद्र सरकार झूठे दावे कर रही है।
विपक्षी दलों को दिक्कत बुलेट ट्रेन से नहीं है। उनका विरोध राजनीतिक ओछेपन के अलावा कुछ नहीं है। उनको दिक्कत इस बात से है कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाएगा।
सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने इसका स्वागत किया है। इस अधिनियम को शरणार्थी हिन्दुओं के लिए बड़ी राहत बताया है। वहीं लिबरल गिरोह ने भी अपनी रुदाली शुरू कर दी है। कॉन्ग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इसे लोकतंत्र के ही खिलाफ बता दिया है।
राजीव बजाज ने कहा है कि कॉर्पोरेट एक्सीलेंस को सम्मानित करने वाले मंच पर अपनी व्यक्तिगत राय जाहिर करना सही है या ग़लत, वह इसका निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि साहस और बेहूदगी की परिभाषा एक ही होती है, इसलिए अंतर कर पाना मुश्किल है।
बजाज परिवार द्वारा संचालित 3 चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का सैकड़ों करोड़ बकाया रखा हुआ है। उनके कारण किसान तंगहाली में जीने को मज़बूर हैं। चीनी मिलों पर योगी सरकार की सख्ती के बाद राहुल बजाज देश में 'डर का माहौल' वाला नैरेटिव चला रहे हैं।
जिस गाड़ी के प्रियंका के घर में 'घुस आने' को उन्हें मिली ज़ेड प्लस सुरक्षा की खामी बताया जा रहा है, उस गाड़ी में बैठी महिला को प्रियंका के ही निजी सचिव ने मिलने का समय दिया था। और तो और वो महिला कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकीं हैं।