Sunday, November 17, 2024

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Movie Review

शवयात्रा में भी नहीं थी राम नाम लेने की इजाजत, Tanhaji ने बताया औरंगज़ेब कितना ‘महान’

आप राम नाम बोलते हुए शवयात्रा तक नहीं निकाल सकते। हिन्दुओं की बहू-बेटियाँ घरों से नहीं निकल सकतीं। उस काल की कल्पना कीजिए और उसे 'तानाजी' में देखिए। गद्दार तब भी थे और अब भी हैं- ये आपको पता चलेगा। भगवा का क्या महत्व है, यह भी जान पाएँगे।

ऑपइंडिया टॉप 10: अतिथि लेखकों के दस आलेख जो साल भर सबसे ज्यादा चर्चा में रहे

ऑपइंडिया ने एक साल पूरे किए और लगभग 10,000 लेख हमने खबरों, विचार और विश्लेषण के रूप में आप तक पहुँचाया। लेकिन इसमें सिर्फ ऑपइंडिया की सम्पादकीय टीम का ही योगदान नहीं रहा, बल्कि पाठकों में से भी कई लोगों ने अपने लेखों और विश्लेषणों से हमारे प्लेटफ़ॉर्म को बेहतर बनाया। उन सभी का शुक्रिया, बार-बार धन्यवाद!

‘कबीर सिंह’ में जिनको मर्दवाद दिख रहा है: नकली समीक्षकों की समीक्षा

"यार तुझे पता है जब पीरियड्स होते हैं तब उसे कितना दर्द होता है। गर्म पानी का बैग रखना होता है उसकी थाई पर वगैरह वगैरह, समझ रहा है तू मेरी बात?" बॉलीवुड में संभवतः पहली मेनस्ट्रीम फिल्म, जिसके सीन में प्रेमिका के पीरियड्स की तकलीफ और दर्द पर बात की गई लेकिन फिल्म हो गई स्त्री-विरोधी! वाह!!

REVIEW: शास्त्रीजी की गुत्थी सुलझाते Terrorism और Secularism पर हमारे मन की बात है ‘द ताशकंद फाइल्स’

वैसे तो फ़िल्म 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली है लेकिन ऑपइंडिया आपके लिए लेकर आया है 'द ताशकंद फाइल्स' का रिव्यु। एक्टिंग, निर्देशन और स्क्रिप्ट से लेकर फिल्म के थीम की गहन एवं विस्तृत समीक्षा। और हाँ, मिथुन चक्रवर्ती का वो डायलॉग...

मेरे प्यारे PRIME MINISTER: खुले में शौच पर रोकथाम, स्वच्छता अभियान की मुहीम को आगे बढ़ाएगी यह फ़िल्म

ट्रेलर में एक तंज भी है, जब कन्हैया नोट को ध्यान से अपने दोस्तों को दिखाते हुए कहता है, "माँगने से कुछ नहीं होता, करने से होता है और वह सिर्फ़ एक ही आदमी कर सकता है- गाँधी जी।"

‘My Name is Raga’ ट्रेलर रिव्यु: राहुल गाँधी की पैरोडी या SPOOF?

फ़िल्म के राहुल गाँधी असली राहुल गाँधी की तरह डॉक्टर सिंह की प्लेट में केक का टुकड़ा नहीं पटकते, वह उनसे काफ़ी विनम्र तरीक़े से पेश आते हैं। राहुल की प्रेमिका उन्हें सबका 'प्यारा रागा' बताती है।

‘मणिकर्णिका’ आजकल के समीक्षकों के संकीर्ण दायरों से परे है

राजनैतिक अंधविरोध में पागल हो चुके समीक्षकों को आजकल सबकुछ उलटा ही नज़र आता है, जिसके परिणामस्वरूप हो सकता है कि उन्हें अंग्रेज़ों की पितृसत्तात्मकता 'कूल' लगी हो और रानी का विधवा आडंबरों को धता बताना रास न आया हो।

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