Sunday, April 28, 2024

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Mughal Rule

…उस मुगल ‘बादशाह’ की कब्र खोजेगा ASI, जिसने किया था गीता और 52 उपनिषदों का अनुवाद

"अगर औरंगजेब की जगह वह शहंशाह होता, तो क्या अलग भारत होता? ये धारणाएँ मुगल इतिहास की मिसप्लेस्ड अंडरस्टैंडिंग की वजह से आ रही हैं। उन्हें एक अच्छा मुस्लिम बनाया गया है लेकिन उनकी कब्र की खोज क्यों हो रही है?”

छत्रपति शिवाजी की बहू महारानी ताराबाई की समाधी का बुरा हाल, मुगलों के ख़िलाफ़ राष्ट्रहित में लड़ी थीं

"1700 -1707 के बीच महाराष्ट्र में सर्वप्रमुख प्रेरक शक्ति कोई मंत्री न होकर महारानी ताराबाई ही थीं जिन्होंने अपनी कुशल प्रशासनिक दक्षता तथा मजबूत चारित्रिक क्षमता के बल पर उस कठिन समय पर राष्ट्र की रक्षा की।"

जब चमकी मारवाड़ी तलवार तो सलावत खान के दिल के हो गई पार, दरबार छोड़ नंगे पाँव भागा शाहजहाँ

ये कहानी है उस योद्धा की, जिसकी गाथा मारवाड़ में आज भी सुनाई जाती है। वो राठौड़, जिसके प्रताप से भयभीत होकर शाहजहाँ नंगे-पाँव अपने ही दरबार से भाग खड़ा हुआ। जिसकी वीरता देख मुगलों ने छल का सहारा लिया और प्रपंच की आड़ ली।

इतिहास में गुम हैं मुगलों को 17 बार हराने वाले अहोम योद्धा: देश भूल गया ब्रह्मपुत्र के इन बेटों को

राजपूतों और मराठों की तरह कोई और भी था, जिसने मुगलों को न सिर्फ़ नाकों चने चबवाए बल्कि उन्हें खदेड़ कर भगाया। असम के उन योद्धाओं को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिल पाई, जिन्होंने जलयुद्ध का ऐसा नमूना पेश किया कि औरंगज़ेब तक हिल उठा। आइए, चलते हैं पूर्व में।

जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न की गई थी मंदिरों से लूटी गई हिन्दू प्रतिमाएँ, ये रहा सबूत

दिल्ली का जामा मस्जिद, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। औरंगज़ेब के आदेश से मंदिरों से लूटी गईं हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न कर दिया गया था। इसका सबूत है 'मसीर-ई-आलमगीरी', जो औरंगज़ेब की जीवनी है। पढ़िए क्या लिखा है इसमें?

ब्राह्मणों पर पहली बार जजिया कर लगाने वाले फिरोजशाह तुगलक ने बसाया था ‘कुश्के-फिरोज’

फिरोजशाह द्वारा हिन्दुओं पर जुर्म और बर्बरता करने का एक यह भी कारण था कि उसे एक राजपूत माँ से पैदा होने के कारण अपने समय के उलेमाओं के सामने अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बनाए रखना था। यही वजह है कि इतिहास में उसे एक धर्मांध शासक के रूप में जाना गया।

‘मुगलों ने हिंदुस्तान को लूटा ही नहीं, माल बाहर भी भेजा, ये रहा सबूत’

1659 में औरंगज़ेब के मक्का को 600,000 रुपए देने का ज़िक्र करते हुए True Indology ने बताया है कि उस समय एक रुपए में 280 किलो चावल आता था। यानी करीब 2 लाख टन चावल खरीदे जाने भर का पैसा औरंगज़ेब ने हिन्दुस्तानियों से लूट कर मक्का भेजा।

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