"आज लॉकडाउन की परिस्थिति में काशी देश को सिखा सकती है- संयम, समन्वय, संवेदनशीलता। काशी देश को सिखा सकती है- सहयोग, शांति, सहनशीलता। काशी देश को सिखा सकती है- साधना, सेवा, समाधान।"
सरकार की गंंभीरता और देश की जागरुकता का ही परिणाम है कि 133 करोड़ आबादी वाले देश में कोरोना सबसे धीमी गति से फ़ैल रहा है, लेकिन द लायर जैसे पोर्टल को शायद देश में इटली जैसी तबाही का इंतजार है।
कोरोना से बचने का इसके अलावा कोई तरीका नहीं है, कोई रास्ता नहीं है। बकौल पीएम, कोरोना को फैलने से रोकना है, तो इसके संक्रमण की सायकिल को तोड़ना ही होगा।
22 मार्च की सुबह से ही जनता कर्फ्यू के सन्नाटे के बावजूद भी कुछ लोगों ने आरती और शंख ध्वनियाँ शुरू कर दी थीं लेकिन शाम पाँच बजते ही मानो पूरा भारत एक मंदिर में तब्दील हो गया। यह पल इतना भावुक कर देने वाला था कि जिन लोगों ने यह पल महसूस किया है वो शायद ही कभी इसे भूल पाएँगे।
कोरोना जैसी महामारी के बीच सरकार ने फार्मास्युटिकल घटकों के लिए चीन पर चली आ रही निर्भरता को ख़त्म करने के उद्देश्य से देश में बड़े पैमाने पर दवा निर्माण की मदद के लिए 14 हजार करोड़ रुपए निवेश की घोषणा की है।
काशी की खास पहचान कल-कल बहती गंगा की मौज तो वही है, बस किनारे पर हलचल थम सी गई है। आज सुबह से ही गंगा में अठखेलियाँ करती नौकाएँ किनारे पर बँधी नजर आईं और कोरोना अलर्ट की वजह से मंदिरों, मठों तक में माहौल बेहद शांत है और गतिविधियाँ काफी सीमित रहीं।
देश के जिन राज्यों में कोरोना के पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं, उनके 75 जिलों को पूरी तरह से लॉकडाउन किया गया है। इसके साथ ही सभी शहरों की मेट्रो 31 मार्च तक बंद रहेंगे।
"मेरी सबसे प्रार्थना है कि आप जिस शहर में हैं, कृप्या कुछ दिन वहीं रहिए। इससे हम सब इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर भीड़ लगाकर हम अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कृप्या अपनी और अपने परिवार की चिंता करिए, आवश्यक न हो तो अपने घर से बाहर न निकलिए।"
ये वह समाज है जिससे मोदी कह दें कि विष्ठा मलद्वार से करनी चाहिए तो वह अपने मुख से करने लगेगा। इनका ऑक्सीजन भी मोदी-विरोध है। इनका गड़बड़ाया पाचन तंत्र भी मोदी को गाली देकर दुरुस्त होता है। इस समाज के गाँजा और सेक्स लाइफ का एक्स फैक्टर है मोदी विरोध।