नक्सली हिंदूवादी संगठनों के विस्तार को रोकने के लिए बड़ी साज़िश कर रहे हैं। इसके लिए गुरिल्ला युद्धनीति और लैंडमाइंस का प्रयोग करने की योजना नक्सलियों द्वारा बनाई जा रही है। नक्सली बिहार के विभिन्न जिलों में घूम कर संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं।
30 नवंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पूर्व यह हमला हुआ है। जिस जगह हमला किया गया वहॉं से 30 किमी दूर गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह ने रैली की थी। घटनास्थल से 80 किमी दूर पलामू ज़िले में सोमवार को पीएम मोदी की रैली होनी है।
इस की जाँच हो कि एनकाउंटर में शामिल अफसरों के हाथों इस घटना के दौरान कोई आपराधिक कृत्य तो नहीं घटित हुआ है। लेकिन इसे एनकाउंटर की सत्यता, उसकी परिस्थितियों या माओवाद के आरोपितों की मृत्यु पर सवाल के रूप में न देखा जाए।
हर यूनिवर्सिटी या सार्वजनिक मंच पर ये विशुद्ध झूठ बोलते हैं, फिर इनका गिरोह सक्रिय हो जाता है और ऐसे दिखाता है कि ब्रो, अरुंधति रॉय ने बोला है ब्रो… ब्रो… समझ रहे हो ब्रो? अरुंधति फ्रीकिंग रॉय ब्रो! ये ब्रो-ब्रो इतना ज्यादा होने लगता है कि वो ब्रोहाहा कॉलेज के 22-25 साल के युवा विद्यार्थियों के लिए तथ्य का रूप ले लेता है।
नक्सली नेता कोबाड गाँधी को 9 साल पुराने देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया है। झारखंड की हजारीबाग जेल में निरुद्ध प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्य कोबाड गाँधी को सोमवार को ट्राँसफर वारंट पर सूरत लाया गया था।
आँकड़ें बताते हैं कि मोदी सरकार की सख्ती, प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों में तेजी और अर्बन नक्सलियों पर शिकंजा कसे जाने से लाल आतंकी की जड़ें सिकुड़ी हैं। लेकिन, खूनी खेल के लिए नए मैदान तलाश रहे वाम आतंकियों के समूल नाश के लिए उनके अर्थ तंत्र पर चोट जरूरी।
2010 में सूरत ज़िले की कामरेज पुलिस ने दक्षिण गुजरात में नक्सल गतिविधियों का प्रचार करने के लिए गाँधी समेत 25 के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में 24 आरोपित गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। सीमा हिरानी पुलिस की गिरफ़्त से दूर है।
“मुझे अपने भाई की जगह नौकरी मिली है। मैंने विभाग से अनुरोध किया था कि मुझे मेरे भाई की बंदूक ही दी जाए। नक्सली कायर हैं। मैं दंतेश्वरी फाइटर टीम को जॉइन करना चाहूँगी और अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहूँगी।”
कैलाश के बारे में स्थानीय एनसीपी नेताओं ने यह भी कहा कि उसने मार्च में पार्टी के लिए समय न निकाल पाने की बात कहते हुए इस्तीफा दे दिया था। वह पार्टी की स्थापना के समय से ही इसका सदस्य था। ईनामी नक्सलियों किरण कुमार और नर्मदक्का की गिरफ़्तारी के बाद उनकी निशानदेही पर कैलाश को गिरफ़्तार किया गया।