बेंगलुरु में गुरुवार को ओवैसी ने CAA विरोधी रैली की। इसी दौरान एक लड़की मंच पर चढ़ गई और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगी। इससे पहले एक विडियो सामने आया था जिसमें AIMIM का पूर्व विधायक वारिस पठान हिंदुओं को धमका रहा था।
"जो गैर-मुस्लिम अपनी भारतीय नागरिकता को साबित नहीं कर पाएँगे, उनको भारत की नागरिकता के लिए CAA के माध्यम से आवेदन करना होगा। फिर इसके बाद उनको यह भी स्वीकार करना होगा कि वे भारतीय नहीं हैं और पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आए हैं।"
स्वामी ने दावा किया कि राहुल गाँधी ने इंग्लैंड में व्यवसाय शुरू करने के लिए ब्रिटिश नागरिकता का विकल्प चुना था। हालाँकि, राहुल गाँधी नागरिकता के लिए नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं, क्योंकि उनके पिता राजीव गाँधी एक भारतीय थे।
दिल्ली पुलिस ने चार आतंकियों को दिल्ली पर हमले की योजना बनाने और गोलपारा रास महोत्सव में विस्फोट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि इन चारों ने धोखाधड़ी कर एनआरसी में अपना नाम जुड़वा लिया है।
लखीसराय के गाँधी मैदान में सभा करने पहुँचे कन्हैया कुमार को नारंगी शर्ट पहने एक युवक ने चप्पल फेंक कर मारा। चप्पल फेंक कर मारने वाले युवक का नाम चंदन कुमार है। पुलिस ने आरोपित युवक को कन्हैया समर्थकों की मार से बचाते हुए हिरासत में ले लिया।
जामिया हिंसा के विडियो में से एक चेहरा पहचान (सूत्रों के अनुसार) लिया गया है। जिस शख्स का चेहरा वायरल हुआ है, उसका नाम मो. अशरफ भट है। यह जामिया में PhD का स्टूटेंड है। लेकिन फिलहाल गायब है। ऑनलाइन-ऑफलाइन, कहीं भी इसकी कोई जानकारी नहीं है।
CPI नेता कन्हैया कुमार इन दिनों CAA, NRC और NPR के खिलाफ 'जन-गण-मन यात्रा' पर निकले हुए हैं, लेकिन उन्हें लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बिहार के जिस भी जिले में वह अब तक पहुँचे हैं, उनमें से अधिकतर जगहों पर कन्हैया कुमार के काफिले पर हमला बोला गया है।
कोटा और बीरभूम में मुस्लिम महिलाओं को CAA विरोधी भीड़ ने पीटा क्योंकि वो सर्वे कर रही थीं। योगेंद्र यादव सरीखे बुद्धिजीवी ही इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं, जो CAA और NRC पर मीठा बोल के लोगों को भड़का रहे हैं। योगेंद्र यादव के ताज़ा वीडियो में उनके ताबड़तोड़ झूठ की पोल-खोल।
सोमवार को मंडी हाउस में प्रदर्शनकारियों द्वारा सीएए के विरोध में मार्च निकालने के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए पहले ही बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया था कि, यहाँ कोई विरोध-प्रदर्शन या धरना देने का स्थान नहीं है, किसी को धरना देना या विरोध-प्रदर्शन करना है तो वह जंतर-मंतर जाए।
“बिना सही पहचान के मूल मुस्लिम आबादी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। NRC में बांग्लादेशी मूल के लाखों लोग शामिल हैं, इसलिए हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते। अगर हमने अब कुछ नहीं किया तो एक दिन असम से सभी मूल जनजातियाँ सामाप्त हो जाएँगी।”