NPR बनने और उसके प्रभावी हो जाने पर बाहर जाने वाले 'घुसपैठियों' की संख्या के अनुपात में CAA के उपरोक्त 'लाभार्थी' बहुत ही कम हैं। साथ ही, धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अपने पूर्व-नागरिकों को शरण और नागरिकता देना भारत का संवैधानिक और मानवीय दायित्व भी है।
"सुन लो मोदी, हमारी माँ-बहनों ने टीपू सुल्तान को जन्म दिया है और तुम हमसे नागरिकता का सबूत माँगते हो! लालकिला जहाँ से झंडा फहराते हो, ये क्या तुम्हारे पूर्वजों ने बनवाया? ताजमहल जहाँ ट्रम्प को लेकर गए थे, क्या तुम्हारे पूर्वजों ने बनवाया था? तुमने शौचालय बनवाए हैं, जाओ और वहाँ से झंडा फहराओ।"
अरविंद केजरीवाल ने प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा कि उनके परिवार और पूरी कैबिनेट के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं तो क्या सभी को NPR के तहत डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि ये डर सबको सता रहा है।
ओवैसी, शरजील इमाम, हुसैन हैदरी, इकबाल, जिन्ना, लादेन की फेहरिश्त में आप नाम जोड़ते जाइए उन सबका भी जो शायद आपके आसपास बैठा हो, जो आपके साथ काम करता हो, जिनका पेशा कुछ भी क्यों न हो लेकिन वो लगे हों उम्मत के लिए ही।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ़ किया है कि इस स्टेज पर वो वार्ताकारों द्वारा फाइल की गई रिपोर्ट को केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और याचिकाकर्ताओं के साथ साझा नहीं कर सकती।
जाफराबाद में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी पिस्टल लेकर पहुँच गया। जानकारी के मुताबिक, उसने 8 राउंड फायरिंग भी की।
फरीदाबाद सड़क खोलने की माँग को लेकर प्रदर्शन कर रहे सरिता विहार जसोला आदि इलाके के लोगों का कहना है कि जब तक फरीदाबाद की सड़क नहीं खुलती, वो शाहीन बाग़ मेट्रो स्टेशन को जाने वाली सड़क बंद रखेंगे।
वामपंथियों के पास मूर्खों को छोड़ कर और कोई होता भी नहीं। या और गहरे उतरें तो यह कहना भी शास्त्रोचित है कि वामपंथी मूर्ख ही होते हैं। ये बात और है कि उन्हें अंत काल तक अपने मूढ़मति होने का पता नहीं चल पाता।
रविवार की सुबह बड़ी संख्या में मौके पर पहुँची महिलाओं ने सड़क को जाम कर दिया। इसी बीच स्थित तब तनावपूर्ण हो गई कि जब मौजपुर में सीएए के समर्थन में सड़कों पर पहुँचकर लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी और कुछ ही देर में दोनों और से पत्थरबाजी शुरू हो गई।
कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून जैसे विषयों से विपक्षी राजनीतिक दलों को इन विरोध प्रदर्शनों से एक हाथ की दूरी बनाए रखनी चाहिए और जन आंदोलनों को जबरन अपना बनाने की कोशिश कोशिश नहीं करनी चाहिए।