सैयद ज़ैनुल आबेदीन ने कहा कि भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर कश्मीर मुद्दे को लगभग हल कर लिया है। हर भारतीय को सरकार के फैसले पर गर्व होना चाहिए। कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जो गलत है। यह किसी भी तरह से धर्म से संबंधित नहीं है।
इमरान खान की रैली में भीड़ दिखाने के लिए पाकिस्तान के एबटाबाद और रावलपिंडी से लोगों को ट्रकों में भरकर लाया गया। पीओके के राजनीतिक कार्यकर्ता अमजद अयूब ने बताया कि इस रैली का बहिष्कार करने पर पीओके की जनता को वैश्विक समुदाय से बधाई मिलनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाहट भरी प्रतिक्रिया दे रहा है। इसके बावजूद एससीओ के कॉन्फ्रेंस में उसे आमंत्रित किया गया था। सम्मेलन में 27 विदेशी और 40 भारतीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया था।
इस दौरान महिला सांसदों के साथ भी धक्का-मुक्की की गई। गो नियाजी गो से पाकिस्तानी संसद गूँजती रही, मार्शलों को भी मामला शांत करवाने के लिए बुलवाया गया, लेकिन नेता अपने काबू से बाहर होकर एक दूसरे पर लात-घूसा चलाते रहे।
"इस्लामाबाद में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ कभी हिंसा, नरसंहार, असाधारण हत्या, अपहरण, बलात्कार, धर्म परिवर्तन जैसे मामलों के रूप में भेदभाव होता हैं। जिनमें पाकिस्तानी हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शिया उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में से एक हैं।"
"अगर इमरान खान को समर्थन मिला होता तो अब तक ये सबको पता चल चुका होता, क्योंकि वो UNHRC की कोई गुप्त बैठक नहीं थी। पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देशों के जॉइंट स्टेटमेंट की जो सूची वो जारी करने वाले हैं, वैसी कोई सूची अभी तक हमें नहीं मिली है।"
NRC को पूरे देश में लागू करने पर मदनी ने कहा, "मेरी इच्छा होती है मैं इसे सारे मुल्क में करने की माँग करूँ, जिससे पता चल जाएगा कि घुसपैठिए कितने हैं। जो असली हैं, उन पर भी दाग लगाया जाता है, तो पता चल जाएगा। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है।"
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कबूल किया है कि इमरान खान की सरकार अब आतंकियों को मुख्यधारा में शामिल कराएगी। क्योंकि ये आतंकी उनके कहने पर अफगानिस्तान में लड़े थे और ये उनकी जिम्मेदारी है कि अब वो उन आतंकियों को नौकरी और पैसे दें।
एजेंसी ने खुलासा करते हुए बताया था कि कोड वर्ड्स POK के नियंत्रण रेखा के पास लगाए गए FM ट्रांसमिशन के जरिए भेजे जाते हैं। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के लिए (66/88) MHz, लश्कर-ए-तैयबा के लिए (ए3) और अल बद्र के लिए (डी 9) बैंड्स रखे गए हैं।