पाक सेना ने जिलानी अस्पताल को पत्र लिख कर कहा है कि भारत से संभावित युद्ध के मद्देनज़र मेडिकल सपोर्ट की व्यवस्था और योजना तैयार करें। इसके अलावा सिविल अस्पतालों को भी तैयार रहने को कहा गया है। सीमा पर नागरिकों को एडवाइजरी भी जारी की गई है।
अभी हाल ही में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर चहुँओर से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गडकरी ने कहा कि पाकिस्तान जानेवाले पानी को रोक कर अब यमुना में लाया जाएगा।
मसूद अज़हर एक तक़रीर में खुलेआम पुलवामा का नाम ले रहा है। वह पाकिस्तानी सैनिकों को धन्यवाद दे रहा है। वह फिदाइनों की तारीफ़ कर अन्य को फिदाईन बनने के लिए उकसा रहा है। यह सब पाकिस्तान की सरजमीं पर वहाँ के आर्मी की सरपरस्ती में हो रहा है।
इस के तहत भारत में दलित, मुस्लिम, सिख, और क्रिश्चियन समुदाय के लोगों को भड़का कर देश को टुकड़ों में बांटना था। पाक को आंशिक सफलता मीडिया के एक ख़ास वर्ग और लिबरल लॉबी से मिली, जो मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में लगी रहती है।
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के भारत के कूटनीतिक प्रयासों को बड़ी सफलता मिलती दिख रही है। फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन आतंकी मसूद अज़हर को प्रतिबंधित करने के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाएँगे।
सवाल यह है कि इतने सालों तक अमरीकी फ़ौज की मौजूदगी होते हुए भी अफ-पाक सीमा पर से आतंकवादियों का ख़ात्मा क्यों नहीं हो सका? उप विदेश मंत्री करज़ई इसके कारण बताते हुए लिखते हैं कि इन आतंकियों को ‘स्टेट’ (अर्थात पाकिस्तान) द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
पकिस्तानी पक्ष ने चन्दन नंदी द्वारा 'दी क्विंट' में लिखे गए एक लेख का भी सहारा लिया। इस लेख में नंदी ने दावा किया था कि जाधव के पास दो पासपोर्ट थे- एक उनके असली नाम से, और एक हुसैन मुबारक पटेल के नाम से।
सिद्धू ने पाकिस्तान का बचाव किया और कपिल ने सिद्धू का। ये रिश्ता क्या कहलाता है? जनता की मदद से अपना व्यापार चलाने वालों को जनभावना की ही क़द्र नहीं। जवानों के बलिदान का इनकी नज़र में कोई मोल नहीं!
भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने पाकिस्तानी अटॉर्नी जनरल से हाथ मिलाने से मना कर दिया। एक निर्दोष की जान को ख़तरे में बताते हुए भारत ने कुलभूषण जाधव प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
इस हमले में हाई इंटेंसिटी वाले 'मिलिट्री ग्रेड एक्सप्लोसिव (RDX)' का प्रयोग किया गया था। इस विस्फोटक को पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकियों को सप्लाई किया जाता है।