पाकिस्तान में बीते कुछ महीनों में करीब 50 हिंदू और सिख लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। 'पाकिस्तानी हिंदूज यूथ फोरम' और 'सिंधी हिंदू स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान' नामक फेसबुक पेज के जरिए यह जानकारी दी गई है।
“उन सभी पाकिस्तानी आवेदकों के वीजा आवेदनों को स्वीकार किया जाता है, जिनमें हिंदू समुदाय के लोग अपने परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार करने के लिए हरिद्वार जाना चाहते हैं। मगर इसके लिए आवेदक को उस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाना होगा, जिसकी अस्थियों को विसर्जित किया जाना है।”
नाबालिग हिन्दू लड़की महक कुमारी का पहले अपहरण किया जाता है, फिर जबरन बुलवाया जाता है कि उसने इस्लाम अपना लिया है, और निकाह कर दिया जाता है। जब वो कोर्ट को बताती है कि उसने डर के साये में ऐसा कहा था और वह हिंदू बनकर अपने माँ-पिता के पास जाना चाहती है तो उसके लिए मौत की सजा माँगी जाती है।
इससे पहले 20 जनवरी को महक से कोर्ट में बयान दिलवाया गया था कि उसने अमरोत शरीफ में अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया और अली रजा से अपनी मर्जी से शादी की। भारी दबाव व धमकी के कारण उसे ये बयान देना पड़ा था। अब उसने कोर्ट में सच्चाई बताई है।
मियाँ मोहम्मद अकरम उस्मान ने इस पोस्टर में मुहम्मद अली जिन्ना और पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तस्वीर लगाई है। इसके साथ ही, पोस्टर में भारत के झंडे तिरंगा को भी दिखाया गया है, जिस पर 'क्रॉस' का निशान लगाया गया है।
"हम पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं महसूस करते। हमारी लड़कियों को हमेशा डर लगा रहता है कि कोई कट्टरपंथी उनका अपहरण कर लेगा। पुलिस मूक दर्शक बनी देखती रहती है। हमारी लड़कियाँ आजादी से चल भी नहीं सकती हैं।"
खुद को कनेरिया की गेंदबाजी का प्रशंसक बताने वाली यह महिला है आमना गुल। उसने ट्वीट कर ने कनेरिया से कहा, "आप प्लीज इस्लाम कबूल कर लीजिए। इस्लाम सोना है। इस्लाम के बगैर कुछ भी नहीं है। आप की जिंदगी मौत की तरह है। आप इस्लाम कबूल कर लीजिए।"
"जिस समय मेरी बेटी को किडनैप किया गया, उस वक्त उसकी शादी की रस्में निभाई जा रहीं थी। लेकिन, तभी शाहरूख गुल अपने कुछ साथियों और पुलिसवालों के साथ आया और मेरी बिटिया को उठा कर ले गया.."
“पाकिस्तान में बहुत प्रताड़ना झेली। मजहब बदलने का दबाव था। कोई रोजगार नहीं था। फिर दिल्ली आ गए। मदद माँगने कई बार केजरीवाल के पास गए। लेकिन, कुछ हासिल नहीं हुआ। आम लोग कभी कपड़े तो कभी राशन दे जाते हैं।”
एससी/एसटी कमीशन के चेयरमैन ने बताया कि भारत में जिन शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता मिलने वाली है। उनमें 70 से 75 प्रतिशत दलित, ओबीसी और गरीब है। जिन्हें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भगाया गया था।