नाम आरोक कुमारी (महक) - उम्र 15 साल, कक्षा 9वीं की छात्रा। 15 जनवरी से लापता। अब एक वीडियो में कह रही है - "मेरा नाम अब 'अलीजा' है, मैंने दरगाह अमरोत शरीफ में इस्लाम क़बूल किया। अली रज़ा माची से मैंने निकाह किया।"
नीता अपनी बड़ी बहन के साथ 2001 में सिंध के मीरपुर खास से जोधपुर आईं। 5 महीने पहले ही उन्हें नागरिकता मिली है। अब वह राजस्थान के पंचायत चुनावों में किस्मत आजमा रही हैं।
सिंध से आई दमी कोहली जोधपुर के पास एक रिफ्यूजी कैंप में रहती है। सालभर से यहीं पढ़ाई कर रही है। 11वीं की परीक्षा भी यहीं से पास की। बावजूद इसके राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने उसका 12वीं का परीक्षा फॉर्म खारिज कर दिया है।
आज कॉन्ग्रेस CAA का विरोध कर रही है। इसका कोई आधार नहीं है। जरूरत है उसके नेता इतिहास को समझें। नेहरू मंत्रिमंडल में राहत और पुनर्वास के लिए अलग से मंत्रालय था। मोदी सरकार ने उसी प्रक्रिया का सरलीकरण किया है।
"हम अपना घर, जमीन सब पीछे छोड़ आए हैं... सब कुछ पाकिस्तान में है। अब यही हमारा घर है। अगर आप हमें स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहाँ जाएँगे? कृपया हमारी पीड़ा को समझें और जो कुछ हमारे घाव को भरने की कोशिश चल रही है, उसका विरोध न करें।’’
यमुनानगर में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनावों में अपना समर्थन दिया था, क्योंकि हुड्डा कहते थे कि उन्हें नागरिकता दिलवाएँगे, लेकिन आज जब मोदी सरकार ने बिल पास कर दिया है, तो वे इसका विरोध कर रहे हैं।
महक 13 दिसंबर से अपने कराची स्थित घर से गायब हुई थी। जिसके बाद उसका एक वीडियो आया है। इस वीडियो में महक हिजाब पहनकर बैठी है और अपना नाम महक केसवानी की जगह महक फातिमा बता रही है।
मौजूदा क़ानून के मुताबिक किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल यहाँ रहना अनिवार्य था। नए कानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह अवधि घटाकर 6 साल कर दी गई है।
"लोग हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं? मुस्लिमों को बताइए यहाँ पर क्या दिक्कत है? उनको क्या परेशानी है? हमारे वहाँ पर हिंदू तकलीफ में हैं। उन पर अत्याचार होते हैं। तभी हम यहाँ आते हैं, कौन चाहता है अपना घर छोड़ना... कॉन्ग्रेस ने ही तो धर्म के नाम पर देश को बाँटा था। कॉन्ग्रेस सरकार में यह मुमकिन नहीं हो पाता।"
एक चतुर लेकिन बौखल वकील बुढ़ापे में यह भूल गया कि किस तरफ़ से बहस करने की फीस मिली है, और जाकर अपने ही मुवक्किल को कातिल साबित करने वाली दलीलें दे आया। तृणमूल के सांसद और हम सबके बचपन के 'बॉर्नवीटा क्विज़ मास्टर' डेरेक ओ'ब्रायन यही मूर्खता आज राज्य सभा में कर आए हैं।