इतिहास में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी, गोरखा और वाल्मीकि समुदाय के लोग भी मतदान कर सकेंगे। अभी तक ये अभागे और उपेक्षित समुदाय राज्य के चुनावों में मतदान के अपने लोकतान्त्रिक अधिकार से वंचित रहे हैं।
रोशनी एक्ट के नाम पर जम्मू-कश्मीर में जमीन हड़पने वालों के नाम सामने आने लगे हैं। अब तक जिनके नाम सामने आए हैं, उनमें कई पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथी हैं।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए बने गुपकार गुट की एकता में दरार पैदा हो गई है। डीडीसी चुनावों में उतरने जा रही कॉन्ग्रेस ने कई सीटों पर पीडीपी कैंडिडेट के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं।
"ये किसी परिवार की बनाई पार्टी नहीं है, इसका अध्यक्ष कोई भी इंसान दो कार्यकाल से ज्यादा के लिए नहीं हो सकता। हम पर बहुत सारी जिम्मेदारी है, क्योंकि उम्मीदें और चुनौतियाँ बहुत हैं।"
हिलाल अकबर लोन को कश्मीर घाटी में पाँच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने के मद्देनजर प्रशासन ने हिरासत में लिया था। इसके साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कॉन्ग्रेस, माकपा व अन्य दलों के प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया था।
बुखारी ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। इसका श्रेय उन्होंने राज्य की जनता और केंद्र सरकार को दिया है।