"करीम लाला अफ़ग़ानिस्तान से आए पठानों के नेता थे। उन्होंने 'पख्तून-ए-हिंद' नामक एक संगठन का नेतृत्व भी किया था। उनसे बहुत से लोग मिलने के लिए जाया करते थे। इसमें कई राजनेता भी शामिल थे। जो भी नेता उनसे मिलने आते थे, उनसे पठान नेता के रूप में मुलाकात करते थे।"
दिल्ली में होने वाली विपक्ष की बैठक में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस के बाद अब मायावती की बहुजन समाज पार्टी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और शिवसेना ने भी शामिल होने से इनकार कर दिया है।
'लिबरल' शिवसेना शायद भूल गई कि यह इंटरनेट का युग है। जो कभी कुछ नहीं भूलता और न लोगों को भूलने देता है। दीपिका पादुकोण के समर्थन पर सोशल मीडिया में यूज़र्स ने शिवसेना को तुरंत आड़े हाथों लिया और ठग करार दिया।
“हमारी सरकार अब तक सत्ता में नहीं थी। लेकिन अब आ गई है। अब मैं मंत्री बन गई हूँ, लेकिन अभी हमें अपनी जेबें भरनी बाकी है।” इस बयान पर कॉन्ग्रेस की ओर से अभी तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है। न ही सहयोगी पार्टी शिवसेना और एनसीपी की तरफ से कोई बयान सामने आया है।
मुंबई का गेटवे ऑफ इंडिया। रात के 2:15 बजे। विरोध-प्रदर्शन करती भीड़। और 18 सेकंड का विडियो। इसमें 'हिंदुओं से आजादी' का नारा लगा या नहीं - इस पर बवाल। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा। पुलिस अब जाँच करेगी। लेकिन आप खुद भी सुन कर फैसला कर सकते हैं कि...
"इन हमलों की वजह से देश की छवि पूरी दुनिया में खराब हो रही है। इन गुंडों को आंतकवादी कहना चाहिए, क्योंकि वे भी मुँह छिपाकर ही आते हैं। इस पर तय समय के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए, वरना विदेश के छात्र यहाँ पढ़ने नहीं आएँगे।"
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख को चिकित्सा एवं संस्कृति मंत्रालय दिया गया। बाकी कॉन्ग्रेस नेताओं को आदिवासी विकास, स्कूली शिक्षण, जनजातीय विकास, मत्स्य, ओबीसी कल्याण और डेयरी विकास देकर निपटा दिया गया।
कैबिनेट विस्तार के बाद महाविकास अघाड़ी में बगावत तेज। जालना के विधायक ने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने का किया ऐलान। कॉन्ग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ कर चुके हैं विधायक संग्राम थोपटे के समर्थक।
एनसीपी और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कॉन्ग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं है। एनसीपी और कॉन्ग्रेस नेताओं के बीच जारी घमासान के चलते दोनों दलों के नेता बैठक बीच में ही छोड़कर वहाँ से चलते बने। दोनों पार्टियों के आपसी विवाद के कारण मंत्रियों के विभागों का बँटवारा एक टेढ़ी खीर बनी हुई है।
"मैं यहाँ मुख्यमंत्री से मिलने आया। मैंने उनसे मिलने हेतु अपॉइंटमेंट के लिए कई गुजारिश की। लेकिन मैं उनसे नहीं मिल सका। सावरकर जी की इज्जत का मामला होने के बाद भी उनके (मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे) पास मुझसे बात करने के लिए एक मिनट का समय नहीं हैं।"