Sunday, December 22, 2024

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MP में नई स्कीम: कमलनाथ सरकार से चाहिए ₹51000 तो दूल्हे को भेजना होगा शौचालय से सेल्फी

मध्य प्रदेश में दूल्हे के शौचालय में खड़े होकर सेल्फी भेजने पर मुख्यमंत्री कन्या विवाह / निकाह योजना के तहत 51,000 रुपए मिलेंगे। मगर इसके लिए आवेदन तभी स्वीकार किए जाएँगे जब दुल्हन यह साबित कर दे कि उसके पति के घर में शौचालय है।

PM मोदी को एक और अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मान, स्वच्छ भारत मिशन के लिए होंगे अमेरिका में सम्मानित

भारत के लिए एक और खुशखबरी है। प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के अमेरिकी दौरे के दौरान बिल मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) द्वारा उन्हें स्वच्छ भारत अभियान के लिए उन्हें सम्मानित करेगा। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह ने दी।

गंगा घाटों के स्वच्छता अभियान की अगुवाई करने वाली तमसुतुला इमसॉन्ग को मिला देवी पुरस्कार

तमसुतुला इमसॉन्ग, नागालैंड की एक युवती हैं। इनका समूह, Sakaar Sewa Samiti तब सुर्खियों में आया था, जब वाराणसी में गंगा घाटों को स्वच्छ रखने में उनके योगदान ने पीएम मोदी के प्रोत्साहन के साथ देशव्यापी पहचान हासिल की थी।

स्वच्छ भारत अभियान के कारण मिट्टी-पानी में प्रदूषण हुआ कम, UNICEF ने की प्रशंसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो गाँव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं उनका भूजल उन गाँवों से अधिक गंदा है जहाँ अब लोग खुले में शौच करने नहीं जाते।

हम किस दौर में जी रहे हैं? पैर धोकर फोटो खिंचाए जा रहे हैं! ये रहा जवाब

मोदी के ऐसे प्रतीकात्मक कार्य आपको नौटंकी ही लगेंगे क्योंकि आप न तो लोयथम रिचर्ड को जानते हैं, न ही नाइदो तनियम को। आप उन हजारों उत्तर-पूर्व के लोगों को नहीं समझ पाते, और उनकी वेशभूषा पर टिप्पणियाँ करते हुए, उसके बालों के कारण उसकी जान ले लेते हैं।

मेरे प्यारे PRIME MINISTER: खुले में शौच पर रोकथाम, स्वच्छता अभियान की मुहीम को आगे बढ़ाएगी यह फ़िल्म

ट्रेलर में एक तंज भी है, जब कन्हैया नोट को ध्यान से अपने दोस्तों को दिखाते हुए कहता है, "माँगने से कुछ नहीं होता, करने से होता है और वह सिर्फ़ एक ही आदमी कर सकता है- गाँधी जी।"

उज्जैन में स्वच्छता अभियान: बदली क्षिप्रा की तस्वीर, कचरे से रोज़गार और कमाई भी

इस परियोजना के तहत हर महीने क़रीब पाँच टन कचरे से लगभग 10 हज़ार फाइले बनाई जाएँगी। इन फाइलों को उज्जैन के स्थानीय सरकारी दफ्तरों में 8 रुपए प्रति फाइल की दर पर बेचा जाएगा।

जब सूट-बूट वाली सरकार ने आम आदमी को वो दिया जो उन्हें 50 साल पहले मिलना था

लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता है, जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।

विश्व की सबसे बड़ी सेनिटेशन योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से हमें क्या मिला

साठ के दशक के आरंभिक दिनों में जब विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल अपने पुरखों की भूमि भारत आए थे तब उन्हें कश्मीर से लेकर मद्रास...

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