आतंकवादियों को हिरासत में लेने की ये पहली घटना नहीं है। पाकिस्तान पहले भी अन्तरराष्ट्रीय दबाव के चलते इस प्रकार के नाटक कर चुका है। यह पाकिस्तान द्वारा दुनिया की आँखों में धूल झोंकने का पुराना पेशा बन चुका है।
गिरफ़्तार डॉक्टर पर आतंकवादियों को वित्तीय मदद देने में शामिल होने का संदेह है। उसके सुरक्षा बलों को धोखे से भोजन और पानी में ज़हर देने की साज़िश में शामिल होने की भी बात सामने आई है।
कश्मीर में अलगाववाद को बल मिलता है पैन-इस्लामिज़म से, जो खिलाफत आंदोलन के या उससे भी पूर्व के उस विचार से प्रभावित है, जिसमें दुनिया के सभी मुस्लिमों को राष्ट्रीय सीमाओं से परे एक झंडे के नीचे खड़े होने को अपना आदर्श मानता है।
हाल ही में आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से हाफिज सईद के संगठनों पर बैन नहीं लगाया गया है, बल्कि सिर्फ निगरानी रखने की बात कही गई है।
साल 2014-17 के बीच पकड़े गए जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों में से 4 आतंकियों को प्रशिक्षण बालाकोट के उसी कैंप में मिला है जहाँ पर वायु सेना द्वारा हाल ही में हमला किया गया।
अच्छे लोग जैश-ए-मोहम्मद को पनाह देने वाले इमरान खान में statesmanship देख लेते हैं। 100 लोगों का पोस्ट पढ़कर उन्हें पूरा हिन्दुस्तान खून का प्यासा दिखने लगता है और पाकिस्तान के 2 पोस्ट पढ़कर शान्ति की जन्मभूमि। अच्छे लोग...
जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) के नाम से 1942 में शोपियाँ में मौलवी गुलाम अहमद अहर ने स्थापित किया था जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है। जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) आरंभ से ही अलगाववादी संगठन रहा है जिस पर पहले भी (1990) में प्रतिबंध लग चुका है।
राष्ट्रवाद अपने हर रूप, हर रंग, हर तरीके में सुंदर है। अगर अपनी मातृभूमि के लिए चिल्लाना गुनाह है तो लोगों को अपना गला हर दिन खराब करना चाहिए। ऐसे गुनाह होते रहने चाहिए।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षाकर्मियों के राशन की देखभाल करने के लिए आवश्यक उपाय किए हैं। साथ ही, कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है।