कुछ लोगों ने गाँव में कोरोना की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगे पोस्टरों को फाड़ दिया। इसके बाद देर रात गाँव में स्थित एक शिव मंदिर में शिवलिंग को तोड़कर उसे पास के ही कुएँ में फेंक दिया। इतना ही नहीं आरोपितों ने गाँव के दूसरे राधा-कृष्ण मंदिर में भी माँस का टुकड़ा फेंक दिया।
जमातियों के एक जगह पर एकत्र होने की सूचना पर पहुँचे दो सिपाहियों को पीटने के बाद करीब 200 लोग एकत्र हो गए और पुलिस चौकी पर हमला कर दिया। भीड़ ने पुलिस चौकी को फूँकने का भी प्रयास किया।
पुलिस ने कॉल कर रहे शख्स को समोसे तो दी ही लेकिन इसके बदले में उससे सामाजिक कार्य के तहत नाली साफ़ करवाई गई। ताकि कम से कम उसे आगे से इस बात का ध्यान रहे कि उसे पुलिस कण्ट्रोल रूम में अनावश्यक रूप से कॉल नहीं करना है - कम से कम चार समोसे मँगवाने के लिए तो फोन नहीं ही करना है 🙂
गाँव में पहले से ही एक युवक कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इसके बाद भी समुदाय के लोग मस्जिद में एकत्र होकर नमाज अदा करने सा बाज नहीं आ रहे। और तो और, मौलाना मस्जिद में बैठकर माइक से लोगों को नमाज के लिए इकट्ठा करने का ऐलान कर रहा था।
मैनपुरी की एक मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई। पुलिस ने जब रोका तो मुस्लिम समाज के लोग आक्रोशित हो गए। अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को समझा-बुझाकर हालात पर काबू पाया।
खुद को देवी का रूप बताने वाली सुभद्रा यादव लॉकडाउन के बावजूद अपने घर में लोगों को इकट्ठा कर झाड़-फूँक कर रही थी। पुलिस जब मौके पर पहुॅंची तो उसने तलवार निकाल कर कार्रवाई का विरोध किया।
गाड़ी से उतरे व्यक्ति को मास्क और ग्लब्स दिए जाते हैं और उन्हें पहनने को कहा जाता है। इसके बाद मामला संदिग्ध पाया जाने पर पुलिस उन्हें लेकर हॉस्पिटल जाती हैं। लेकिन हाँ, हॉस्पिटल ले जाने से पहले पुलिस स्प्रे मार कर गाड़ी को सैनिटाइज करना नहीं भूलती। ये है यूपी पुलिस।
पुलिस ने माईक लेकर पूरे शहर के लोगों से घरों के अंदर रहने का आह्वान किया साथ ही मस्जिदों के मौलवियों से अपील की कि वह अपने लोगों से कहें कि कुछ दिनों तक सभी लोग मस्जिद में न आकर अपने घर पर ही नमाज पढ़ें। इसके बाद ही मामला शांत हुआ।