सआदत छात्रावास के नाबालिग लड़कों ने ख़ुद दावा किया कि उनके गुदा से ख़ून बहने की ख़बरें झूठी हैं। सीतापुर के रहने वाले 21 साल के इरफ़ान हैदर ने बताया कि 'कुछ मदरसा छात्रों को पुलिस यातना का दंश झेलना पड़ा' जैसी सारी ख़बरें झूठी थीं, इनका कोई आधार नहीं था।
इससे पहले कि माहौल बिगड़ता घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम ऋषिराज, सीओ यूएम मिश्रा पुलिस दल-बल के साथ घटना-स्थल पर पहुँचे। पुलिस के आते ही सभी उपद्रवियों ने अपने घरों और गलियों में घुसना शुरू कर दिया और ग़ायब हो गए।
इस मामले में पुलिस ने 13 मुकदमें दर्ज कर क़रीब 148 उपद्रवियों को नामजद किया और 500 से अधिक लोग अज्ञात हैं। पुलिस ने दंगे में शामिल उपद्रवियों की फोटो और वीडियो के आधार पर उनकी पहचान की है। साथ ही दंगाइयों के पोस्टर्स भी शहर भर में लगाए गए हैं।
CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान भीड़ को इनलोगों ने हिंसा और पुलिस पर हमले के लिए उकसाया था। FIR में एएमयू छात्र संघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज का भी नाम है। उसके अलावा पॉंच पूर्व छात्र ऐसे हैं जिनका आपराधिक अतीत रहा है।
सोशल मीडिया में एक तस्वीर बड़ी तेज़ी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में 72 वर्षीय शिया मौलवी असद रज़ा हुसैनी के एक हाथ पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है और शरीर पर घाव के निशान हैं। सहानुभूति बटोरती इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है, जो दंगाइयों, मीडिया-सोशल मीडिया गिरोह के प्रोपेगेंडा को उजागर करती है।
अपने दुख को भूल डॉ. अर्चना सिंह यह सुनिश्चित करने में जुटी थीं कि प्रियंका गॉंधी की सुरक्षा में सेंध न लगे। तब शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि प्रियंका के सामने उनके साथ बदसलूकी होगी और उलटे आरोप उन पर ही मढ़ दिया जाएगा।
"सैल्यूट है मेरठ के सिटी एसपी अखिलेश नारायण सिंह को, पाकिस्तान ज़िंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे लगा रहे उपद्रवियों को करारा जवाब देने के लिए। अब कुछ तथाकथित प्रबुद्धों को अफ़सोस है कि भारत मुर्दाबाद और पाकिस्तान ज़िंदाबाद बोलने वाले गद्दारों को पाकिस्तान जाने को क्यों कहा।"
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि वीडियो 20 दिसंबर का है। उन्होंने कहा कि इसको अब वायरल किया जाना बताता है कि कुछ लोग साजिश रच रहे हैं ताकि हालात सामान्य न हो सके।
फैज की "हम देखेंगे... बस नाम रहेगा अल्लाह का" वाले पर इसी मीडिया गिरोह ने संदर्भ की बात करते हुए लेख पर लेख दे मारे। तो क्या दंगे-आगजनी की जगह पुलिस के निर्णय संदर्भ से परे हो जाते हैं? उसकी व्याख्या क्यों नहीं! क्योंकि ये आपके नैरेटिव को सूट नहीं करता।