पश्चिम बंगाल की जनता उद्योग चाहती है, जो उसके हिसाब से सिर्फ भाजपा ही दे सकती है। बेरोजगारी मुद्दा है। घुसपैठ और मुस्लिम तुष्टिकरण पर TMC कोई जवाब नहीं दे पाई है।
पश्चिम बंगाल में चुनाव समाप्ति की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान हिंसा की कई घटनाएँ सामने आई है। क्या नतीजों के बाद दशकों पुराना राजनीतिक हिंसा का दौर थमेगा?
कोरोना के चलते में पश्चिम बंगाल में पॉलिटिकल रैली नहीं करने की नैतिकता की बातें करने के बाद सीपीआईएम ने पश्चिम बंगाल में बड़ी राजनैतिक रैली की। इसमें हजारों की संख्या में लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नजर आए।
ममता बनर्जी हर दिन पश्चिम बंगाल में हर बड़ी रैलियाँ कर रही हैं, लेकिन उसे ट्विटर पर साझा नहीं करतीं हैं, ताकि राजनीतिक रूप से सक्रीय लोगों के चुभचे सवालों से बच सकें और अपना लिबरल एजेंडा सेट कर सकें।
इस मामले में कॉन्ग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी राहुल गाँधी के विचारों से इत्तेफाक न रखते हुए भीड़ में शामिल हो रहे हैं। यह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।