“वर्तमान में राम जन्मभूमि के 67 एकड़ के परिसर में कोई कब्रिस्तान नहीं है।” - जिला प्रशासन ने यह प्रतिक्रिया एक पत्र के जवाब में दी है, जिसमें कहा गया था कि बाबरी स्थल के आसपास कब्रिस्तान है।
"साल 1855 के दंगों में 75 मुस्लिम मारे गए थे और सभी को यहीं दफन किया गया था। ऐसे में क्या राम मंदिर की नींव मुस्लिमों की कब्र पर रखी जा सकती है? इसका फैसला ट्रस्ट के मैनेजमेंट को करना होगा।"
सबसे पहले 67 एकड़ की भूमि का माप लिया जाएगा और ज़मीन को सीमांकित किया जाएगा। इसके बाद मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया जाएगा कि वो मंदिर का शिलान्यास करें। मंदिर परिसर का कुल क्षेत्रफल 100 एकड़ हो सकता है।
"सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के मुताबिक मस्जिद निर्माण के लिए भूमि उपयुक्त जगह पर नहीं दी गई है। वहाँ अयोध्या के लोग नमाज पढ़ने नहीं जा सकते। हम अब राज्य सरकार के आवंटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।"
एंकर कहती है कि 1992 में जब हिंदुओं ने बाबरी मस्जिद को शहीद करने के लिए धावा बोला था तो वहाँ कई मुस्लिम शहीद हो गए थे। उन मुस्लिमों की रूहें आज भी इस मस्जिद में मौजूद हैं, जो अब बाबरी मस्जिद को शहीद होने से रोक रहे हैं।
सामना के संपादक और शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हम चाहते हैं कि
अयोध्या दौरे के लिए हमारे गठबंधन के नेताओं को भी साथ आना चाहिए। इतना ही नहीं राउत ने आगे ये भी कहा कि राहुल गाँधी पहले से ही मंदिरों में जाते भी हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पहले विहिप का बड़े कार्यक्रम का ऐलान। ‘रामोत्सव’ नाम से चलने वाला यह कार्यक्रम 25 मार्च को शुरू होगा और 8 अप्रैल को इसका समापन होगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में तीन अधिकारियों का डेस्क बनाया गया है जो अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित सभी मामलों को देखेगी। पिछले महीने ही अमित शाह ने कहा था कि अयोध्या में चार महीने के भीतर भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा होगा।
"बाबरी मस्जिद के मलबे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है। ऐसे में मलबे के हटाने के समय उसका अनादर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि हम तीन शताब्दी से इस मस्जिद में नमाज पढ़ते आ रहे थे, इसलिए इसके मलबे पर हम अपने हक के लिए याचिका दायर करेंगे।"