Sunday, November 17, 2024

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कृषि

8.5% कमीशन आढ़तिया और राज्य सरकार का…ऐसे लूटा जाता है किसान की उपज को, फिर भी घड़ियाली आँसू बहा रहा विपक्ष

इन तीनों विधेयकों की सही और पूरी जानकारी किसानों तक पहुँच नहीं पाई है। यह सरकार की विफलता ही मानी जाएगी। इतने महत्वपूर्ण और दूरगामी...

केवल इसी को बेचो या अपनी मर्जी से कहीं भी बेचो… किसान के लिए क्या बेहतर?

तरह-तरह के जुमलों से किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है। MSP जो कि अभी भी लागू है, उसके ख़त्म किए जाने का डर बनाया जा रहा...

‘बिचौलिया’ मदर इंडिया का लाला नहीं… अब वो कंट्रोल करता है पूरा मार्केट: कृषि विधेयक इनका फन कुचलने के लिए

'बिचौलिया' मतलब छोटी मछली नहीं, बड़े किलर शार्क। ये एक इशारे पर दर्जनों वेयरहाउस से आपूर्ति धीमी करवा, कई राज्यों में कीमतें बढ़ा सकते हैं।

कोरोना संकट के कारण जो लौटे हैं उनका पलायन रोकने में हम सक्षम हैं: बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार

"40 साल कॉन्ग्रेस, 15 साल लालू और एनडीए कार्यकाल की तुलना कर लीजिए सच्चाई सामने आ जाएगी। पता चल जाएगा बिहार कहाँ था और आज कहाँ खड़ा है।"

किसानों की तबाही का कारण बनेगा कोरोना: गाँवों से होकर देश भर में संक्रमण फैलने का ख़तरा

अभी आलू की खुदाई और भराई का समय है, कुछ दिन में सरसों और फिर गेहूँ की कटाई-मढ़ाई का समय आ जाएगा, लेकिन कोरोना के कहर के चलते ये काम कैसा और कितना हो सकेगा, कहना मुश्किल है। फसलों के नुकसान से किसान तो तबाह होगा ही, दाल-रोटी के दाम भी बढ़ जाएँगे और उससे भी सबसे ज्यादा मुश्किलें अगर किसी की बढ़ेंगी तो वह गरीब-वंचित तबका ही होगा।

राजस्थान के किसानों पर टूटा पाकिस्तानी टिड्डियों का कहर: CM गहलोत ने कहा- मोदी जिम्मेदार

किसानों ने कहा कि टिड्डियों के हमले के कारण वे पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर में खाने के लिए रोटी तक नहीं बचा है। कर्जमाफी का वादा पूरा न किए जाने से किसान पहले से ही बेहाल है। मुख्यमंत्री के सामने कई किसान अचानक से रो पड़े।

847 करोड़ रुपए के साथ 36 लाख+ महिलाओं की बदली जिंदगी: MP, महाराष्ट्र और ओडिशा सबसे आगे

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना से 36 लाख से अधिक महिला लाभान्वित हुईं। महिलाओं को कृषि गतिविधियों में संलग्न करने के लिए केंद्र सरकार की 84 परियोजनाओं के लिए 847 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।

किसानों को जिम्मेदार ठहरा कर नाकामी छिपाने वालो, जरा प्रदूषण के असली कारकों पर भी गौर कर लो

पंजाब-हरियाणा का पानी किसान पी जाता है। दिल्ली में प्रदूषण भी किसान ही फैलाता है। ऐसी दलीलें देकर असली समस्याएँ छिपाई जा रही हैं। अगर आप सोचते हैं कि किसान 14 लाख की मशीन ख़रीद कर कटाई करे तो आपको जमीनी समझ नहीं। सरकारें और एमएनसी के इस जाल के जंजाल को समझिए।

सोचिएगा कामरेड! कैसे बदला ‘उत्तम खेती, मध्यम बान, नीच चाकरी, भीख निदान’ की कहावतों का देश

दिल्ली जैसे राज्यों में अंग्रेजों के दौर से ही गाय पालने पर पाबंदियाँ हैं। आस-पड़ोस के राज्यों से जब पशु घटे और खेत में पुआल जलने लगा तो धुआं दिल्ली तक भी पहुँचने लगा। अब साँस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो परेशानी की जड़ में भी जाने की सोचिएगा कामरेड।

जल-संकट, प्लास्टिक जैसी कई समस्याएँ हल हो गईं होतीं, अगर हम अपना देसी ज्ञान सहेज पाते

इस तकनीक से दो से तीन दिन तक पौधों को पानी मिलता रहता है। इस्तेमाल करने के बाद फेंक दी जाने वाली बोतलों का इस तरह से दोबारा इस्तेमाल भी होता है।

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