"भाजपा के लोगों हम हर चीज के लिए तैयार हैं। हम कॉन्ग्रेस के लोग हैं। बेईमानी, चोरी, लूट-घसोट, जुआ-शराब और अवैध कारोबार में हम लिप्त नहीं हैं। ये सारे काम आप करोगे और बदनाम कॉन्ग्रेस को करोगे। कॉन्ग्रेस का कोई भी माई का लाल..."
स्वामी ने दावा किया कि राहुल गाँधी ने इंग्लैंड में व्यवसाय शुरू करने के लिए ब्रिटिश नागरिकता का विकल्प चुना था। हालाँकि, राहुल गाँधी नागरिकता के लिए नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं, क्योंकि उनके पिता राजीव गाँधी एक भारतीय थे।
"अतिथि विद्वानों से कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने पर हमारी माँगों को पूरा किया जाएगा। हमने साल भर तक इंतजार किया। उसके बाद ही हमने अपना आंदोलन शुरू किया। मगर आंदोलन शुरू होते ही अतिथि विद्वानों को नोटिस मिलना शुरू हो गया।"
"भारत द्वारा डेबी अब्राहम का वापस भेजा जाना वास्तव में आवश्यक था क्योंकि वह केवल सांसद नहीं हैं बल्कि पाक की प्रॉक्सी भी हैं। उन्हें पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के साथ संबंध रखने के लिए जाना जाता है। भारत की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश करने वाले हर प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए।"
महिला आईपीएस ने प्रदर्शनकारियों को समझाते हुए, कोई नुकसान न पहुँचाने और शांति पूर्ण प्रदर्शन करने की हिदायत दी। इसके बाद ही कॉन्ग्रेस की महिला विधायक शकुंतला साहू वहाँ पहुँची, और आईपीएस अधिकारी को, "ठीक से रहो वर्ना औकात दिखा दूँगी" की धमकी दी।
"महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस ने सावरकर के चरित्र को धूमिल करने के लिए उनके खिलाफ आर्टिकल छापे। मैं सीएम से एक्शन लेने की अपील करता हूॅं। हमने कॉन्ग्रेस के खिलाफ दो केस दर्ज किए हैं और अब बॉम्बे हाई कोर्ट में कॉन्ग्रेस के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा दर्ज करेंगे।"
दिल्ली चुनाव परिणामोंं में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बीजेपी की करारी हार में भी उसकी एक बड़ी जीत छिपी हुई है। ऐसा इसलिए कि इस 70 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं इसमें गौर करने वाली बात यह कि बीजेपी का इस बार करीब 63 सीटों पर वोट शेयर बढ़ा है।
विरोध होने के बाद राहुल गाँधी ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। उन्होंने फिर से दोबारा बिना नक़्शे वाला ट्वीट किया और कोरोना वायरस को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। हालाँकि, राहुल गाँधी ने अभी तक इस पर माफी नहीं माँगी है। इससे पहले शशि थरूर भी ऐसा कर चुके हैं।
"2013 में जब हम हारे तो कॉन्ग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं, जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने फिर से कमान संभाली तो कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 22.46 फीसदी हो गया।"
आप की जीत पर कॉन्ग्रेस नेताओं की खुशी शर्मिष्ठा मुखर्जी को नागवार गुजरी है। उन्होंने पूछा है कि अपनी बुरी हार पर चिंतित होने की बजाए कॉन्ग्रेस किसी दूसरी पार्टी की जीत पर ख़ुश क्यों हो रही है?