चारो आरोपितों अल्ताफ, सरफराज उर्फ सफ्फू, इरशाद उर्फ मंगली व सौयब ने लगभग दो घंटे बाद पीड़िता नाबालिग को खेत में ही छोड़ कर फरार हो गए। घटना के बाद पीड़िता ने घर आकर आपबीती अपनी माँ को बताई तो......
“आखिरी बार जब उसने मुझसे बात की थी, तो वो रास्ते में थी। उसने मुझसे फल काटकर रखने के लिए कहा था। उसने कहा था कि उसे बहुत भूख लगी है। लेकिन... मैं चाहती हूँ कि वे उसी तरह से जले, जैसे उसने मेरी बेटी को जलाया।”
लगभग दो महीने पहले दानापुर खगौल से मोहम्मद दानिश नाम का मैथ टीचर अपनी ही 15 वर्षीय स्टूडेंट, जो कि दूसरे धर्म की बताई जाती है को लेकर फरार हो गया था और उसका धर्मांतरण कराने की भी फिराक में था।
मोइन के कहने पर अयाज़ और मुबारक कार लेकर उस गली में पहुँचे जहाँ जावेद अली का घर था। घर के बाहर खेल रहे उनके बेटे से दोनों ने रेस्तरां का रास्ता पूछा। रेस्तरां ले जाने के लिए जावेद का बेटा उनकी गाड़ी में बैठ गया और उसे अयाज़ और मुबारक अगवा कर ले गए।
इन कलाकृतियों में सदियों पुरानी मूर्तियाँ, पत्थर के खंभे, लकड़ी से बने वाहन, रथ आदि जैसी प्राचीन वस्तुएँ हैं। जिन्हें भवन के परिसर में खुली जगह पर बिन किसी खास देख-रेख के कूड़े की तरह फेंक दिया गया।
आरोपित डीपीएस राठौड़ और स्थानीय नेता अजीत सिंह सबूत के बदले चिन्मयानन्द से सवा करोड़ रुपये माँग रहे थे। इस मामले में यूपी पुलिस की एसआईटी ने आरोपितों पर आईपीसी की धारा 385(रंगदारी) , 506 (धमकी देने) और 201 (सबूत नष्ट करने) के तहत केस दर्ज कर लिया है।
चारों मुजरिमों द्वारा किसी तरह की याचिका दायर न करवाने के बाद अब तिहाड़
जेल प्रशासन इस तथ्य को ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखेगा। उसके बाद ट्रायल कोर्ट कानूनन कभी भी मुजरिमों का डेथ-वारंट जारी कर सकता है।
गोतस्करों के इस गिरोह का सरगना दिल्ली का जुल्फिकार उर्फ मुल्ला है। यह गिरोह गाजियाबाद, मेरठ, बागपत आदि जनपदों से गोवंश का कटान कर दिल्ली में मीट सप्लाई करता है।
"सूचित किया जाता है कि यदि आपने अब तक दया याचिका दायर नहीं की है और यदि आप मामले में फाँसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करना चाहते हैं तो आप यह नोटिस पाने के सात दिनों के भीतर ऐसा कर सकते हैं।"