सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 154 विधायकों के समर्थन का दावा किया। वहीं, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बताया कि गवर्नर को 162 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा गया है। संजय राउत 175 का दावा करते रहे हैं।
कॉन्ग्रेस और शिवसेना के भीतर लड़ाई चल रही है। कॉन्ग्रेस का एक खेमा शुरुआत से ही शिवसेना के साथ जाने के हक में नहीं रहा है। पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल ने अजित पवार को बताया है कि पार्टी में 30-35 ऐसे विधायक हैं, जो उनकी अनुपस्थिति में असहज महसूस कर रहे हैं। ये आँकड़ा बढ़ भी सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुनवाई के दौरान भाजपा का पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना और भाजपा में मतभेद गहरा गए। इसके बाद अजित पवार ने उन्हे समर्थन देने की बात कही थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अजित पवार ने 22 नवंबर को पत्र दिया था। पत्र में कहा गया था कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों ने उन्हें नेता चुना है और सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया है।
शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो सकती है राजनीतिक तस्वीर। अजित पवार को मनाने की कोशिश में जुटी एनसीपी। छगन भुजबल ने की मुलाकात। संसद में भी हंगामे के आसार।
भाजपा ने अपने सबसे बड़े तुरुप के इक्के को आगे कर दिया है। बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। एक ऐसा नेता, जिसके दोस्त सभी पार्टियों में हैं। हाँ, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और कॉन्ग्रेस के अशोक चव्हाण से उनकी व्यक्तिगत खुन्नस है। वो निकल गए हैं, फडणवीस के लिए समर्थन जुटाने। उनके 4 उसूल हैं- साम. दाम, दंड और भेद।
शरद पवार 1978 में पार्टी तोड़ कर CM बने। 1988 में राजीव ने मुख्यमंत्री बनाया। 1990 में जोड़-तोड़ से सरकार बनाई। 1993 में तत्कालीन CM के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बने। उन्होंने जो लिगेसी सेट की है, भतीजा उसका ही अनुसरण कर रहा है। मिलें अजित प्रकरण के अन्य किरदारों से।
विचारधारा में अंतर न होते हुए भी जब 50-50 के फॉर्मूले पर शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियों संग विलय की जो उत्सुकता दिखाई, उसने जनता के सामने उसके सत्तालोलुप चरित्र को सामने लाकर रख दिया। शिवसेना ने हिंदुत्व से समझौता किया।
NCP नेता और महाराष्ट्र के नव नियुक्त उप-मुख्यमंत्री अजित पवार को पार्टी द्वारा मनाने की सारी कोशिशें फेल होती नज़र आ रही हैं। लाख मनाए जाने के बावजूद वो अपने फ़ैसले पर अटल हैं।
शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी, तीनों दलों के विधायक अलग-अलग होटलों में रुके हुए हैं। उद्धव ठाकरे ने इन विधयकों से मुलाक़ात की। उन्होंने और शरद पवार ने एनसीपी विधायकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनका ये गठबंधन लम्बे समय तक चलेगा।