वक़्फ़ परिषद की इस बैठक में केंद्रीय मंत्री नक़वी ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत वक़्फ़ की प्रॉपर्टी पर कॉलेज, अस्पताल आदि बनवाने के लिए 100 फ़ीसदी फंडिंग की जाएगी।
"मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है... साथ ही वहाँ अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा गणित भी पढ़ाया जाता है। मदरसों को हमेशा मिड-डे मील से महरूम रखा गया है। सरकार को इस बात का ऐलान करना चाहिए कि..."
अजय बहादुर सिंह की कहानी भी जानने लायक है। उनके पिता इंजिनियर थे और उनकी इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए अजय जी-जान से जुट कर तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन, अचानक से घर में विपत्ति आन पड़ी। अजय को चाय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन अपने सपने को नहीं मारे वो और...
“चेन्नै में जिन स्टूडेंट्स के सिलेबस में हिन्दी है वे इन परीक्षाओं के ज़रिए हिन्दी सीखने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। फ़रवरी में आयोजित परीक्षा में 30000 से ज़्यादा परीक्षार्थी बैठते हैं वहीं जुलाई में होने वाली परीक्षा में 10000 परीक्षार्थी शामिल होते हैं।"
जो विद्यार्थी गलत तरीके से पैसे देकर शिक्षक की नौकरी पा भी लें तो वे क्या पढ़ाएँगे और क्या नीति की बातें सिखाएँगे? बात सिर्फ शिक्षकों की नहीं है। धाँधली करके प्राप्त की गई किसी भी नौकरी के किसी भी पर पहुँचा अधिकारी क्या उस पद के साथ ईमानदार रह पाएगा? क्या वह आगे भी रिश्वतखोरी नहीं करेगा?
इस योजना के जरिए सरकार बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में दो तरह से सहायता करती है। पहला तो उन्हें केंद्र के 10 से अधिक मंत्रालयों और विभाग की स्कॉलरशिप योजनाओं के माध्यम से पैसे दिलाए जाते हैं और दूसरा 35 बैंकों द्वारा चलाई जा रही 95 लोन स्कीमों के द्वारा उन्हें लोन मिल सकता है।
एनसीएफ का काम देश में टीचिंग प्रैक्टिस पर दिशा निर्देश देते हुए स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम बनाने और पाठ्यपुस्तकों के लेखन की रूपरेखा बनाने का होता है।
"पाठ्यक्रम की पुस्तकों में वीर सावरकर जैसे लोगों की प्रशंसा की गई थी, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं दिया। जब हमारी सरकार ने सत्ता संभाली, तब पुस्तकों में पढ़ाई जा रहीं इन चीजों का विश्लेषण करने के लिए एक समिति बनाई, जिसके बाद पुख्ता सबूतों के आधार पर ये बदलाव किए गए।"
दरअसल, मई 2017 में दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में CCTV कैमरे लगाए जाने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के मुताबिक़ क़रीब 1,028 सरकारी स्कूलों में 1,46,800 कैमरे लगाने के प्रस्ताव को एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमिटी ने मंज़ूरी दे दी थी।
बात सिर्फ़ उन लड़कियों तक सीमित नहीं, जिन्होंने 500 में से 499 अंक लाकर किसी लड़के को पछाड़ा है। बात उन सभी लड़कियों की, जिन्होंने सामाजिक और परिवारिक जद्दोजहद के बावजूद अकादमिक क्षेत्र में आगे बढ़ने का सपना देखा और उस सपने को पूरा करने के लिए अपना एक-एक पल झोंक दिया।