Friday, November 22, 2024
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5 साल का कॉन्ट्रैक्ट, 4 फसलों पर MSP की गारंटी, बिना किसी लिमिट के खरीद: मोदी सरकार ने पेश किया फॉर्मूला, किसानों ने माँगा समय

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस बैठक को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि नए विचारों और सुझावों के साथ हमने भारतीय किसान मजदूर संघ और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की। वहीं किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव पर सोचने के लिए 2 दिन समय माँगा।

केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रस्ताव लाने के बाद किसान प्रदर्शनकारी थोड़े शांत हुए हैं। उन्होंने सरकार से चौथे दौर की बातचीत के बाद अपना प्रदर्शन कुछ समय रोकने का ऐलान किया। ये प्रस्ताव सरकार रविवार (18 फरवरी 2024) को लेकर आई।

इसमें कहा गया कि एमएसपी पर फसल खरीदने के लिए 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा। ये कॉन्ट्रैक्ट एनसीसीएफ, NAFED और CCI जैसी सहकारी समितियों के साथ होगा। इसमें खरीद की लिमिट नहीं होगी। जिन उपजों को लेकर यह प्रस्ताव दिया दया है उनमें उड़द दाल, मसूर दाल और मक्का-कपास आदि शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बातचीत को बताया सकारात्मक

बता दें कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार को बातचीत हुई थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस बैठक को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि नए विचारों और सुझावों के साथ हमने भारतीय किसान मजदूर संघ और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के सामने फसलों के विविधीकरण का प्रस्ताव रखा जिसके तहत अलग-अलग फसलें उगाने पर बिन किसी लिमिट के उन्हें एमएसपी पर खरीदा जाएगा।

वह बोले– “नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (एनसीसीएफ़) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया (नेफ़ेड) जैसी कोऑपरेटिव सोसाइटियाँ उन किसानों के साथ समझौता करेंगी, जो तूर, उड़द, मसूर दाल या मक्का उगाएँगे और फिर उनसे अगले पाँच साल तक एमएसपी पर फसलें खरीदी जाएँगी। वहीं कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के माध्यम से किसानों से 5 साल तक एमएसपी पर कपास की खरीद की जाएगी। इन खरीद की कोई सीमा नहीं होगी और इन सबके लिए एक पोर्टल तैयार किया जाएगा।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार के इस प्रस्वताव से भूमिगत जलस्तर में सुधार होगा और पहले से खराब हो रही जमीन को बंजर होने से रोका जा सकेगा।

किसान नेताओं ने बैठक के बाद लिया सोचने का फैसला

इस बैठक में किसानों के 14 प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए थे। इनके अलावा इस बैठक पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्वात के ऊपर कहा कि वह इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। उनका यह भी कहना है कि अभी सिर्फ एमएसपी के मुद्दे पर चर्चा हुई है। बाकी माँगे नहीं मानी गई हई हैं।

किसान नेताओं का कहना है कि वो अपने मंचों पर सरकार के प्रस्ताव पर अगले दो दिन तक चर्चा करेंगे और उसके बाद भविष्य की रणनीति तय होगी। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हम 19-20 फ़रवरी तक इस मामले पर अलग-अलग मंचों पर चर्चा करेंगे और विशेषज्ञों की राय लेंगे। उसके बाद ही इस मामले पर कोई फैसला लिया जाएगा।” किसानों का कहना है कि अगर इन दो दिनों में प्रस्ताव पर सहमति नहीं बनी तो 21 फरवरी दिल्ली कूच करेंगे।

पंजाब सीएम भी थे बैठक में शामिल

इस बैठक में पंजाब सीएम भगवंत सिंह मान ने भी किसानों के हितों की रक्षा के लिए फसलों के लिए एमएसपी को कानूनी रूप देने की वकालत की। उन्होंने बैठक के दौरान मोजाम्बिक और कोलंबिया से दालों के आयात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा यह आयात 2 अरब डॉलर से अधिक है, मान ने कहा कि अगर इस फसल के लिए एमएसपी दिया जाता है तो पंजाब दालों के उत्पादन में देश का नेतृत्व कर सकता है और यह दूसरी हरित क्रांति होगी।

बता दें कि किसानों के इस आंदोलन में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने की माँग, किसानों को पेंशन सुनिश्चित करने की माँग और उनकी कर्जमाफी और पिछले किसान आंदोलन के समय जो हिंसा में केस किसानों पर दर्ज हुए थे उन सबको रद्द करने की माँग थी। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अभी सिर्फ एमएसपी पर ही प्रस्ताव लाई है। वो विचार करके बताएँगे अब आगे क्या होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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