Friday, October 18, 2024
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ज्ञानवापी में नहीं रुकेगी पूजा, इलाहाबाद HC से मस्जिद कमिटी की याचिका खारिज, मुलायम सिंह के पूजा रुकवाने को बताया गैर कानूनी

इलाहाबाद हाई कोर्ट की रोहित रंजन अग्रवाल वाली एक सदस्यीय बेंच ने यह निर्णय सुनाया है। उन्होंने मस्जिद कमिटी की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने यह निर्णय 15 फरवरी, 2024 को सुरक्षित कर लिया था जिसे आज सुनाया गया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित ज्ञानवापी ढाँचे के भीतर व्यासजी के तहखाने में हो रही पूजा अर्चना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। उसने जिला कोर्ट के आदेश को जारी रखते हुए इस पर रोक लगाने की माँग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की रोहित रंजन अग्रवाल वाली एक सदस्यीय बेंच ने यह निर्णय सुनाया है। उन्होंने मस्जिद कमिटी की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने यह निर्णय 15 फरवरी, 2024 को सुरक्षित कर लिया था जिसे आज सुनाया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में ज्ञानवापी के भीतर पूजा पर रोक लगाया जाना गैर कानूनी था। उसने राज्य सरकार से कानून व्यवस्था नियंत्रित करने को कहा है।

मस्जिद कमिटी ने यह याचिका 31 जनवरी, 2024 को वाराणसी के जिला कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी के भीतर व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति देने के विरुद्ध लगाई थी। गौरतलब है कि 31 जनवरी, 2024 को एक आदेश में कहा गया था कि ज्ञानवापी परिसर के भीतर व्यास जी के तहखाने में हिन्दू पूजा अर्चना कर सकते हैं, उन्हें झरोखा दर्शन की अनुमति भी दी गई थी। यह निर्णय आने के बाद प्रशासन ने रात में ही पूजा और आरती चालू करवा दी थी। मस्जिद कमिटी इसके खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट भी गई थी जहाँ कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया था।

मस्जिद कमिटी का याचिका में कहना था कि व्यासजी का तहखाना विवादित मस्जिद का हिस्सा है इसलिए उसमें कोई मूर्ति नहीं रखी जा सकती। हालाँकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी यह दलील नहीं मानी और पूजा को जारी रखने की अनुमति दी। दूसरी तरफ हिन्दू पक्ष ने कहा कि यहाँ लगातार पूजा होती आई है इसलिए यहाँ पूजा जारी रहनी चाहिए।

गौरतलब है कि हाल ही में ज्ञानवापी में किए गए ASI सर्वे की रिपोर्ट भी सामने आई थी। इसके अंदर सर्वे करने गई टीम को विवादित मस्जिद के तहखानों से कई मूर्तियाँ और शिवलिंग मिले थे। ASI रिपोर्ट में कहा गया था कि यहाँ पहले एक विशाल हिन्दू मंदिर मौजूद था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि इन तहखानों को जानबूझ कर बंद किया गया था। माना जा रहा है कि यह निर्णय आने के बाद अब मस्जिद कमिटी सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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