Sunday, November 24, 2024
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चायनीज खतरे से लड़ना, अमेरिका पर निर्भरता कम, Asian NATO का कॉन्सेप्ट: जानें कौन हैं जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा

इशिबा ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाने जाते रहे हैं जो जापान को और शक्तिशाली सैन्य ताकत बनाने की वकालत करते आए हैं। इशिबा एशिया के भीतर उन देशों का सैन्य सहयोगी संगठन बनाना चाहते हैं जो चीन के खतरे को लेकर आशंकित हैं।

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में नेतृत्व बदलने जा रहा है। जापान को जल्द नया प्रधानमंत्री मिलेगा। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री जैसे महत्वपूर्ण ओहदों को संभाल चुके शिगेरू इशिबा जापान के नए प्रधानमंत्री बन रहे हैं। 67 वर्षीय इशिबा, फुमियो किशिदा की जगह लेंगे। 

इशिबा को ऐसे समय में चुना गया है जब जापान, चीन की बढ़ती ताकत को रोकने और साथ ही आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है। किशिदा को ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाना गया है जो जापान को और मजबूत देश बनाने के पक्ष में हैं। किशिदा की पहचान LDP के भीतर गहरी भूराजनीतिक समझ रखने वाला समझा जाता है। 

कौन हैं शिगेरू इशिबा?

शिगेरू इशिबा जापान की राजधानी टोक्यो के रहने वाले हैं। वह बीते लगभग 4 दशकों से राजनीति में हैं। शिगेरू पिछले 38 सालों से सांसद हैं। 67 साल के शिगेरू इशिबा को किताबें पढ़ने का शौक है। उन्होंने हाल ही में बताया कि वह दिन में तीन किताबें पढ़ते हैं। इसके अलावा शिगेरू को खिलौना मॉडल बनाने का भी शौक है। उनकी कुछ तस्वीरें भी वायरल हुई हैं, इनमें वह जहाज और गाड़ियों के मॉडल के साथ नजर आ रहे हैं। 

शिगेरू इशिबा एक ईसाई हैं। वह इसे खुले तौर पर बताते हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे और फुमियो किशिदा के आलोचक रहे है। शिगेरू इशिबा के पिता भी जापान की राजनीति में सक्रिय थे। वह भी सांसद रहे थे। शिगेरू इशिबा को लेकर माना जाता है कि उन्हें पार्टी में अधिक लोग पसंद नहीं करते। ऐसा उनके स्पष्टवादी रवैये के चलते है। 

लंबा राजनीतिक जीवन

शिगेरू इशिबा बीते 38 सालों से जापान की संसद में सदस्य हैं। वह टोत्तोरी संसदीय सीट से 12 बार चुनाव जीत चुके हैं। शिगेरू इशिबा LDP के महासचिव, जापान में जनसंख्या में गिरावट पर काबू पाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सक्रिय करने के प्रभारी मंत्री, राष्ट्रीय सामरिक क्षेत्रों के राज्य मंत्री, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन मंत्री, और रक्षा मंत्री रहे हैं। शिगेरू जब पहली बार सांसद बने थे, तब वह जापान के सबसे युवा सांसद थे। शिगेरू इशिबा ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी चुनौती दी है।

कैसे जीता पार्टी का द्वंद? 

12 बार सांसद रह चुके शिगेरू इशिबा को प्रधानमंत्री पद पाने के लिए अपनी पार्टी LDP में लम्बी दौड़ जीतनी पड़ी है। फुमियो किशिदा के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के ऐलान के बाद पार्टी के भीतर चालू हुए द्वन्द में इशिबा के सामने 9 उम्मीदवार और थे। उनकी सबसे प्रबल प्रतिद्वंद्वी जापान की आर्थिक मामलों की मंत्री सनाए तकाईची थीं। 

सनाए तकाईची अगर जीततीं तो वह जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री होतीं। इशिबा इससे पहले 4 बार और प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन असफल रहे हैं। इस बार उनका पांसा पलट गया और वह जीत गए। इशिबा पर LDP का विश्वास जनता में बढ़ाने का जिम्मा आ गया है। 

‘एशिया का नाटो’ बनाने की वकालत

शिगेरू इशिबा के प्रधानमंत्री बनने से सबसे अधिक प्रभाव जापान के सामरिक माहौल पर पड़ने वाला है। इशिबा ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाने जाते रहे हैं जो जापान को और शक्तिशाली सैन्य ताकत बनाने की वकालत करते आए हैं। इशिबा एशिया के भीतर उन देशों का सैन्य सहयोगी संगठन बनाना चाहते हैं जो चीन के खतरे को लेकर आशंकित हैं।

इशिबा की इस सोच को ‘एशियन नाटो’ का नाम दिया गया है। गौरतलब है कि नाटो को अमेरिका ने सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए बनाया था। शिगेरू इशिबा का कहना है कि जापान को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।

इशिबा का कहना है कि जापान की सेना अकेले ही किसी देश से भिड़ने में सक्षम होनी चाहिए। वह चीनी मामलों पर कड़ा रुख मानने वाले माने जाते हैं। अमेरिका पर निर्भरता कम करने की बात के कारण अमेरिका भी उनको लेकर थोड़ा आशंकित है।

शिगेरू इशिबा जापान में घटती जन्म दर को लेकर मुखर रहे हैं। वह लगातार जापान की बूढ़ी होती जनसंख्या के कारण काम करने वालों की कम संख्या को लेकर चिंतित रहे हैं। वह जापान के अन्य सामाजिक मुद्दों पर भी बोलते रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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