उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में नवम्बर, 2023 में 41 श्रमिक फँस गए थे। यह श्रमिक अंदर काम करने गए थे लेकिन बीच में मलबा आने के कारण यह बाहर नहीं आ सके थे। इसके बाद इनको बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। इस पूरे ऑपरेशन में ऑस्ट्रेलियाई रेस्क्यू विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स की मदद ली गई थी। यहीं पर स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का एक मंदिर भी स्थापित किया गया था। श्रमिकों को 18 दिन चले राहत-बचाव ऑपरेशन के बाद सुरक्षित निकाला गया था। अर्नाल्ड डिक्स ने इसे बाबा बौखनाग की कृपा बताया था।
अब इसी सिल्क्यारा सुरंग के बाहर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के एक वर्ष के बाद मेला लगा है। यह मेला बाबा बौखनाग के स्थान पर ही लगाया गया है। यह कार्यक्रम स्थानीय लोग और उत्तराखंड सरकार मिल कर करवा रही है। यह मेला सोमवार (25 नवम्बर, 2024) को आयोजित किया जा रहा है। इसे सिल्क्यारा सुरंग के बाहर ही आयोजित किया गया है।
If you happen to be near Silkyara on Monday, then please come along and help us celebrate. I feel very blessed to be able to travel back to the area where we rescued such great men.#silkyara #Uttarakhand #tunnelrescue pic.twitter.com/zodGZk2x23
— Arnold Dix Prof (@Arnolddix) November 21, 2024
बाबा की अर्चना को लौटे अर्नाल्ड
रेस्क्यू ऑपरेशन के पूरा होने में बड़ा रोल निभाने वाले अर्नाल्ड डिक्स को वापस उत्तराखंड बुलाया गया है। उन्हें बाबा बौखनाग के मेले में विशेष अतिथि बनाया गया है। अर्नाल्ड डिक्स बीते वर्ष रेस्क्यू ऑपरेशन के समय बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा-अर्चना करते दिखे थे।
डिक्स ने रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के बाद मंदिर में बाबा बौखनाग को जाकर धन्यवाद ज्ञापित किया था। अर्नाल्ड डिक्स एक बार फिर बाबा बौखनाग का आशीर्वाद इस मंदिर पहुँचे हैं। वह यहाँ मेले में शामिल हुए हैं और उन्होंने मीडिया से भी बात की है और अपने अनुभव साझा किए हैं।
उन्होंने स्थानीय पत्रकार देव रतूड़ी को बताया, “मुझे यहाँ पर बाबा बौखनाग के बारे में बताया गया था। मैंने बाबा से प्रार्थना की कि यहाँ 41 फँसे लोग हैं वो सुरक्षित बच जाएँ क्योंकि उन्होंने कोई गलत नहीं किया। मैंने हम लोगों के बचने के लिए भी प्रार्थना की क्योंकि हम तो उनकी सहायता कर रहे थे।”
अर्नाल्ड डिक्स ने बीते वर्ष गंगा में नहाने को लेकर अपना अनुभव भी बताया। उन्होंने बताया कि गंगा में नहा कर उन्हें हल्का महसूस हुआ। अर्नाल्ड डिक्स ने भारत से प्रगाढ़ हुए अपने सम्बन्धों को भी इसके बाद बताया। डिक्स ने कहा कि अब उनके पास एक बेटी है जो भारतीय है।
कौन हैं बौखनाग देवता?
सुरंग से श्रमिकों के निकलने को जिन बौखनाग देवता की कृपा बताया गया, वह यहाँ के खेत्रपाल देवता है। खेत्रपाल उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में उस क्षेत्र विशेष की रक्षा करने वाले देवता को कहा जाता है। खेत्रपाल शब्द ‘क्षेत्रपाल’ शब्द का स्थानीय गढ़वाली भाषा में रूपांतरण है, गढ़वाली में ‘क्ष’ अक्षर ‘ख’ बोला जाता है।
#WATCH | International tunnelling expert, Arnold Dix offers prayers before local deity Baba Bokhnaag at the temple at the mouth of Silkyara tunnel after all 41 men were safely rescued after the 17-day-long operation pic.twitter.com/xoMBB8uK52
— ANI (@ANI) November 29, 2023
बाबा बौखनाग को बासकी नाग का रूप माना जाता है। स्थानीय लोग बताते है कि भगवान श्रीकृष्ण यहाँ पहले पहुँचे थे और फिर सेम मुखेम गए थे। सेम मुखेम में भी नागराजा का एक मंदिर है। यहाँ इससे पहले भी मेला लगता रहा है।
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हिन्दू देवी-देवताओं से इतर स्थानीय देवी-देवताओं की बड़ी मान्यता है। यहाँ वन की रक्षा करने वाले वन देवता, क्षेत्र की रक्षा करने वाले खेत्रपाल और अन्य स्थानीय देवताओं की पूजा की जाती है। हालाँकि, पूरे देश में क्षेत्र विशेष के देवता होते हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
स्थानीय लोग बताते हैं यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी देवताओं का एक निश्चित स्थान पर भव्य मंदिर बना हो। कहीं-कहीं स्थानीय देवता के नाम पर मात्र किसी पत्थर की भी पूजा हो सकती है। जहाँ पर यह सुरंग हादसा हुआ है, वहाँ भी कोई भव्य मंदिर नहीं बना था।
बौखनाग देवता के अलावा इस क्षेत्र में ऐसे कई देवता हैं, जिन्हें नागराजा और अन्य नामों से जाना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग शब्द वाले देवताओं का संबंध भगवान विष्णु की शैया के रूप से सेवा देने वाले भगवान शेषनाग से है।