ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) दिसंबर के पहले सप्ताह में राम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। शीर्ष अदालत ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामलला को सौंप दी थी। साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में पॉंच एकड़ जमीन मुहैया कराने के निर्देश भी केंद्र सरकार को दिए थे।
इस मामले के दो मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है। एआईएमपीएलबी ने कहा है कि इस फैसले से न उसे फर्क पड़ता है और न इसका उसकी याचिका पर कानूनी तौर पर कोई फर्क पड़ेगा। दिलचस्प यह है कि एआईएमपीएलबी ने कहा है कि सभी मुस्लिम संगठन उसके साथ है।
All India Muslim Personal Law Board: Exercising our constitutional right, we’re going to file a review petition in the Ayodhya case during the 1st week of Dec. Sunni Waqf Board’s decision not to pursue the case won’t legally affect us.All Muslim organizations are on the same page
— ANI (@ANI) November 27, 2019
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लखनऊ में मंगलवार (नवंबर 26, 2019) को हुई बैठक में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला था। हालॉंकि मस्जिद के लिए जमीन कबूल करने को लेकर बोर्ड ने आखिरी फैसला अब तक नहीं किया है। बोर्ड की बैठक से पहले 100 जानी-मानी मुस्लिम हस्तियों ने रिव्यू पीटिशन नहीं दाखिल करने अपील की थी। इनलोगों का कहना था कि पुनर्विचार दायर करना विवाद को जिंदा रखेगा और मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुँचाएगा।
हैरत की बात यह है कि अपने पुराने स्टैंड से पलटते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है। बीते दिनों जमीयत के प्रमुख अरशद मदनी ने कहा था कि उन्हें मालूम है कि समीक्षा याचिका खारिज हो जाएगी। इसके बावजूद वे इसे दाखिल करेंगे। एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए मदनी ने कहा था, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले में, सभी सबूत बाईं ओर इशारा करते हैं, जबकि फैसला दाईं ओर जाता है।” साथ ही उन्होंने हिंदुओं को मंदिर बनाने के लिए कहीं और जमीन दिए जाने की बात भी कही थी।