नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर केंद्र सरकार ने अहम घोषणा की है। इसके लिए 3941.35 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किए जाने के साथ ही सरकार ने बताया है कि 1 अप्रैल 2020 से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। जहाँ एक तरफ मीडिया का गिरोह विशेष विपक्षी नेताओं के साथ मिल कर भ्रम फैलाने में लगा हुआ है, वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है। एनडीटीवी के रवीश कुमार कई बार एनआरसी को लेकर लोगों के बीच डर का माहौल पैदा करने का प्रयास कर चुके हैं।
जैसा की हम पहले ही आपको बता चुके हैं एनपीआर की प्रक्रिया पहली बार यूपीए-2 की सरकार के दौरान पूरी की गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस रजिस्टर में नाम दर्ज कराने वाली पहली सदस्य थीं। कॉन्ग्रेस ने ही इसे एनआरसी से जोड़ा था। आश्चर्य यह कि तब एनडीटीवी जैसे न्यूज़ चैनलों को एनपीआर काफ़ी महत्वपूर्ण लगा था। इस बारे में एनडीटीवी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें एनडीटीवी की निधि कुलपति एनपीआर के फायदों के बारे में समझा रही हैं। आप भी इस वीडियो को देखें:
NDTV explaining benefits of NPR in 2010 pic.twitter.com/uU1rB8ldkV
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) December 25, 2019
इस वीडियो में एनडीटीवी ने बताया था कि सरकार इस बार (2010-11 में) जनगणना के साथ एक और अहम कार्य कर रही है। एनडीटीवी ने बताया कि देश के हरेक व्यक्ति के डिटेल्स इसमें होंगे और इसके जरिए ही लोगों को विशेष पहचान पत्र मिलेगा। एनडीटीवी ने तब इसका महिमामंडन करते हुए इसे दुनिया के सबसे बड़े जनसंख्या रजिस्टर की संज्ञा दी थी। अपनी रिपोर्ट में एनडीटीवी ने बताया था:
“एनपीआर में क़रीब 120 करोड़ लोगों के नाम होंगे। इसे तैयार करने में 3540 करोड़ रुपए ख़र्च आएगा। ये अपनी तरह की सबसे बड़ी कवायद है। लोगों के फोटो खींचे जाएँगे और दसों उँगलियों के बायोमेट्रिक निशान लिए जाएँगे। इस बार जनगणना अधिकारी आपके घर 2 फॉर्म लेकर आएँगे- एक हाउस लिस्टिंग का और दूसरा एनपीआर का फॉर्म होगा। 15 साल से ऊपर की उम्र का हर व्यक्ति इस रजिस्टर में होगा। एनपीआर के कई फ़ायदे होंगे। इसके जरिए ही ‘यूनिक आइडेंटिटी कार्ड’ मिलेगा। ये पहचान पत्र सरकारी योजनाओं में ख़ास कर के काम आएगा।”
एनडीटीवी ने एनपीआर का गुणगान करते हुए बताया था कि इसके जरिए सरकारी योजनाओं में फर्ज़ीवाड़े को रोकना आसान हो जाएगा। साथ ही एनडीटीवी ने समझाया था कि किस तरह एनपीआर तैयार होने के बाद अवैध घुसपैठ रोकने में भी कामयाबी मिलेगी। चैनल ने आगे बताया कि यह भारत में रह रहे लोगों का डेटाबेस होगा। इससे अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान होगी। एनडीटीवी ने जनता से अपील करते हुए कहा था- ध्यान रखे, इस रजिस्टर में आपका नाम ज़रूर होना चाहिए, क्योंकि ये आपके बहुत काम आएगा।
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