Thursday, May 2, 2024
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CJI ने कहा- हिंसा रुकने पर करेंगे सुनवाई, फट पड़ी हिन्दूफोबिया से ग्रसित सबा नक़वी

सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, "बहुत हिंसा हुई है, राष्ट्र कठिन समय के दौर से गुज़र रहा है… शांति लाने का प्रयास होना चाहिए।" इससे पहले 18 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने CAA की वैधता को चुनौती देने वाली लगभग 60 याचिकाओं पर नोटिस जारी केंद्र से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक जवाब देने को कहा था।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने गुरुवार को कहा कि देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर होने वाली हिंसा जब रुकेगी तब इस क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी। CJI ने यह टिप्पणी तब की जब उनकी अगुवाई वाली पीठ के सामने एडवोकेट विनती ढांडा की याचिका का उल्लेख किया गया। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “बहुत हिंसा हुई है, राष्ट्र कठिन समय के दौर से गुज़र रहा है… शांति लाने का प्रयास होना चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के जवाब में हिन्दू नैरेटिव बनाने, हिन्दू प्रतीकों का अपमान करने और हिन्दूफोबिया से ग्रसित पार्ट टाइम जर्नलिस्ट सबा नक़वी ने ट्विटर पर अपना ज्ञान बघारते हुए लिखा, “मुझे नहीं लगता कि लोगों को सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद रखनी चाहिए। इस कानून के हक़ में फैसला आने पर भी लोगों को CAA पर राजनीतिक और नैतिक लड़ाई जारी रखनी चाहिए।”

पुनीत कौर ढांडा द्वारा दायर याचिका में CAA के बारे में समाचार-पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और विज्ञापन के अन्य माध्यमों से बड़े पैमाने पर प्रचार करने के लिए एक दिशा-निर्देश की माँग की गई है। स्पष्ट किया है कि यह भारत के संविधान की भावना के ख़िलाफ़ नहीं है और किसी भी अर्थ में भारत के नागरिकों के ख़िलाफ़ नहीं है। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की माँग की गई है कि वह अधिनियम के नाम पर देश में गलत अफवाहें और हिंसा फैलाने वाले राजनीतिक दलों के ख़िलाफ़ पहचान करे और कड़ी कार्रवाई करे। इस याचिका में राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में आक्रामक तरीके से CAA को लागू करने का निर्देश देने की भी माँग की गई है।

18 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने CAA की वैधता को चुनौती देने वाली लगभग 60 याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने केंद्र से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अपना जवाब देने को कहा था। गौरतलब है कि CAA के विरोध के नाम पर राजधानी दिल्ली सहित देश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। इस दौरान आगजनी और पत्थरबाजी हुई। यूपी, असम और कर्नाटक में हिंसा के दौरान कई लोगों की मौत भी हो गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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