हाहा। ये एक ऐसा रिएक्शन है जो फेसबुक पर मजाकिया पोस्टों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। सोमवार (फरवरी 24, 2020) को भड़की हिंसा में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के गोकुलपुरी इलाक़े के पुलिस कॉन्स्टेबल रतन लाल को सीएए विरोधियों ने मार डाला। दंगाइयों ने एक भरे-पूरे परिवार को उजाड़ दिया। उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो पूछे रहे हैं कि आख़िर उनके पिता का क्या कसूर था? रतन लाल एक निर्भीक, धैर्यवान और आगे से नेतृत्व करने वाले पुलिसकर्मी थे, जिन्हें कभी किसी ने आपा खोते हुए नहीं देखा था। जब कोई कठिन टास्क आता तो वो उसे लपक कर निकल पड़ते थे।
अगर आप समझते हैं कि दंगाइयों में रतन लाल की मौत को लेकर किसी भी प्रकार का पश्चाताप है या फिर क्षोभ है, तो आप ग़लत हैं। इसके लिए हमने कई ऐसे पोस्ट्स को खंगाला, जहाँ रतन लाल से सम्बंधित समाचार प्रकाशित किए गए थे। काफ़ी लोगों ने उन पोस्ट्स पर मजाकिया रिएक्शन दिया था।
जी हाँ, देश के एक जाँबाज पुलिसकर्मी की मौत पर ख़ुशी मनाने वाले ये लोग इसी देश के हैं। हमनें ‘ज़ी न्यूज़’ के एक पोस्ट को खँगाला, जहाँ अली ख़ान, बाबा रउफ, इफ्तिखार अली, अवैस हैदर और इशाक वानी जैसे लोगों ने ‘हाहा’ रिएक्शन दे रखा था। ये कौन लोग हैं, आप ख़ुद देख लीजिए।
इसी तरह ‘रिपब्लिक टीवी’ ने भी वीरगति को प्राप्त रतन लाल की ख़बर चलाई, जिसपर बशीर, जिबान, मुदस्सिर, इमरान, ज़ाहिब आकिब, फ़ारूक़ ख़ान और मुहम्मद शहजाद ने ‘हाहा’ रिएक्शन दिया। जैसा कि आप देख सकते हैं, ये सभी मुस्लिम हैं। ये सभी देश के एक वीर जवान की मौत नहीं बल्कि इसे हत्या कहिए, पर ख़ुशी मना रहे हैं, झूम रहे हैं। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तजिंदर बग्गा ने भी इस ट्रेंड की तरफ़ लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया:
They killed, they are celebrating now pic.twitter.com/p2Urf4F7Gn
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) February 25, 2020
जैसा कि आप देख सकते हैं, ‘टाइम्स नाउ’ ने बलिदानी रतन लाल वाली ख़बर शेयर की थी, जिसके बाद हामिद, हसीब, मुदस्सिर, जिया उर रहमान, फैसल, अफजल और रेहान सहित कई लोगों ने ‘हाहा’ रिएक्ट किया। यहाँ भी अधिकतर दूसरे मजहब वाले ही थे। पुलिस ने हिंसा को लेकर भी मोहम्मद शाहरुख़ को गिरफ़्तार किया है। उससे पहले शाहरुख़ की वायरल फोटो के जरिए ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी गढ़ी जा रही थी जो फेल हो गई।
जहाँ तक वीरगति को प्राप्त रतन लाल की बात है, उन्होंने ही 2013 में दो आदिवासी महिलाओं का बलात्कार करने वाले दोषी को धर दबोचा था। सीमापुरी के एक रेस्टॉरेंट में कुछ पहलवानों ने तबाही मचाई थी, तब उनसे रतन लाल ही निपटने गए थे। वो एक योद्धा की तरह वीरगति को प्राप्त हुए, नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में सीएए विरोधी दंगाइयों से लड़ते हुए। उन्होंने 1998 में कॉन्स्टेबल के रूप में दिल्ली पुलिस ज्वाइन की थी। वह गोकुलपुरी में पोस्टेड थे।