साम्प्रदायिक हिंसा की आग में भभकती राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दंगाइयों के जारी आतंक के बीच खुद को पत्रकार कहने वाली एजेंडाधारी राणा अय्यूब ने कल सोशल मीडिया पर एक पुरानी वीडियो पोस्ट की और दावा किया कि इन दंगों में मस्जिदों को तोड़कर भगवा झंडा लहराया जा रहा है। अब हालाँकि, बाद में इस बात की पुष्टि हो गई कि ये वीडियो 2 साल पुरानी है, लेकिन लोगों को भड़काने के लिहाज से राणा अय्यूब द्वारा की गई कोशिश के लिए उन्हें पहले यूजर्स ने सोशल मीडिया पर आड़े हाथों लिया गया। फिर अब उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज हो गई। शिकायत करने वाले का नाम रमेश सोलंकी है। रमेश ने अपनी शिकायत मंगलवार की शाम ऑनलाइन दायर की।
50 वर्षीय सोलंकी ने दावा किया कि वीडियो 2 साल पुराना है और इसे अय्यूब ने समाज में नफरत फैलाने और दिल्ली हिंसा में और अधिक ईंधन जोड़ने के इरादे से पोस्ट किया था। अपनी शिकायत में सोलंकी ने राणा के ट्वीट और ट्विटर हैंडल @ranaayyub की एक तस्वीर भी अपलोड की।
शिकायत के अलावा सोलंकी ने अपने ट्विटर पर ये भी लिखा कि कृपया इस राणा अय्यूब के खिलाफ कार्रवाई करें। राणा अय्यूब द्वारा साझा किया गया वीडियो 2 साल पुराना है और वह इसे फिर से आज की स्थिति में साझा कर रही हैं, जो समाज में नफरत फैलाने और लोगों को उकसाने का प्रयास है।
रमेश सोलंकी के अनुसार, “राणा झूठी अफवाहों को पोस्ट करने और भारत और भारत सरकार को बदनाम करने के लिए नियमित रुप से काम करती रही हैं, देश में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने में सफल होने से पहले उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरुरी है।”
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई साइबर अपराध के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले पर कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वे किसी भी कार्रवाई करने का निर्णय लेने से पहले तथ्यों को जाँच करेंगे। उन्होंने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो हम शिकायत को आगे की जाँच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को रेफर कर देंगे।
गौरतलब है कि 25 फरवरी को ट्विटर हैंडल @RanaAyub पर पोस्ट की गई 45-सेकंड की एक वीडियो क्लिप में कुछ लोगों को एक केसरिया ध्वज और राष्ट्रीय तिरंगा लगाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया था। अब आमतौर पर एक जिम्मेदार पत्रकार ऐसी वीडियो आदि के सही होने पर भी शेयर नहीं करते क्योंकि हिंसा भड़कने के आसार होते हैं। लेकिन राणा अय्यूब से ऐसी उम्मीद मूर्खता है।
वीडियो के आने पर कई लोगों ने बताया कि ये पुरानी है, और उस पर केस की धमकी दी, तो उन्होंने उस वीडियो को तुरंत अपने ट्विटर प्रोफाइल से हटा दिया और डिलीट कर दिया। अफवाह फैलाने, झूठे वीडियो शेयर करने और लोगों को भड़काने के लिए झूठ बोलना लिबरल पत्रकारों के गिरोह का पुराना पेशा रहा है। जब पोल खुल जाती है तो वो चुपके से अपना ट्वीट डिलीट कर देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि तब तक काफ़ी लोग उसे पढ़ने या देख चुके होते हैं।