Sunday, September 8, 2024
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बंगाल में शवों के साथ रहने को मजबूर कोरोना संदिग्ध, आइसोलेशन वॉर्ड के भीतर का वीडियो हुआ वायरल

बंगाल में कोरोना संक्रमितों का इलाज कैसे किया जा रहा, यह वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। वीडियो में एक डेड बॉडी की तरफ कैमरा है और करीब 45 सेकेंड तक वहाँ पड़े शव को कोई अटेंड करने नहीं आ रहा और उसके आस-पास लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए घूम रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में आसनसोल के भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कल कोरोना संक्रमितों के लिए किए गए इंतजाम की पोल पट्टी खोलते हुए ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में दिखाया गया कि किस तरह टोलीगंज के एमआर बंगूर अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड के नाम पर कोरोना संदिग्धों को बदइंतजामी के साथ रखा जा रहा है। उन्होंने इस वीडियो पर ममता बनर्जी का ध्यान आकर्षित करवाते हुए पूरे मामले पर इंक्वायरी करवाने की अपील की। भाजपा नेता ने इस वीडियो पर हैरानी जताते हुए कहा कि ये वीडियो हर मायने में हैरान करने वाली है। इसके तथ्यों पर जल्द पड़ताल होनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि वीडियो को बनाने वाले व्यक्ति ने इसमें एक डेड बॉडी की तरफ कैमरा किया हुआ है और करीब 45 सेकेंड तक उसे दिखाया है कि कैसे वहाँ पड़े शव को कोई अटेंड करने नहीं आ रहा और उसके आस-पास लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए घूम रहे हैं।

वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि वहाँ अस्पताल प्रशासन ने शवों को डिस्पोज करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किए हैं। उसने दर्शकों को दिखाने के लिए दूसरे शव की तरफ भी कैमरा घुमाया, जिसे वॉर्ड में ही थोड़ी दूर पर काले पर्दे के पीछे रखा गया है। वीडियो में उसने ये भी दिखाया कि वॉर्ड में लोग आसपास घूम रहे हैं और शवों के पास जाने से भी गुरेज नहीं कर रहे।

व्यक्ति वीडियो में कहता है कि यहाँ ऐसे लोग हैं, जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी राज्य में तेजी से परीक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहाँ टेस्ट का रिजल्ट भी कम से कम 4 से 5 दिनों के बाद आता है। वीडियो में गौर देने वाली बात है कि जैसे-जैसे कैमरा घूम रहा है- वहाँ वॉर्ड का सारा नजारा देखने को मिल रहा है और मालूम पड़ता है कि बेडों को भी उचित दूरी के हिसाब से नहीं सेट किया गया है।

अस्पताल में भर्ती इस मरीज के अनुसार, वह अस्पताल के वार्ड में गुरुवार को भर्ती हुआ है और उसने अब तक 5 से 6 लोगों की मौत होते देखी। उसके मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर को साँस की दिक्कत के कारण जान गँवानी पड़ी। मुमकिन है इसका कारण उनका कोरोना पॉजिटिव होना ही रहा हो। लेकिन, वे टेस्ट का परिणाम आने से पहले ही चल बसे। मरीज कहता है कि उसे नहीं पता कि प्रशासन ने उनकी बॉडी के साथ क्या किया।

वॉर्ड की स्थिति दिखाते हुए मरीज ने कैमरा एक बुजुर्ग की ओर घुमाया और कहा, “जब दादाजी अस्पताल आए थे, वो बिलकुल ठीक थे। पर उन्हें खाँसी की शिकायत है।” बता दें कि इस वीडियो में सबसे चिंताजनक बात ये देखने को मिली कि प्रशासन जिंदा लोगों के प्रति तो लापरवाही बरत ही रहा, मगर जो मर गए हैं उन्हें भी वहाँ से निकालने काम नहीं कर रहा। उनके शव कोरोना संदिग्धों के बीच में ही पड़े हुए हैं।

गौरतलब है कि ये मामला सिर्फ़ इतना ही नहीं है। तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में बंगाल सरकार पर तथ्यों को छिपाने और आँकड़ों में हेराफेरी के आरोप लगे हैं। जिसके कारण इस समय ये मुद्दा पश्चिम बंगाल में अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है। इसके कारण तृणमूल कॉन्ग्रेस और डॉक्टरों के बीच विवाद भी बढ़ रहा है। 

स्वास्थ्यकर्मियों का मत है कि राज्य सरकार जबरदस्ती स्वास्थ्य प्रशासन को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का डेटा सामने लाने से रोक रही है और कह रही है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा नॉमिनेटिड पैनल मौतों को कोरोना से हुई मौतें नहीं घोषित करता तब तक वे इस पर कुछ न करें। इसके अलावा ICMR की कोलकाता विंग का ये भी आरोप है कि टीएमसी ने कोरोना संबंधित टेस्टों की गति को धीरे किया हुआ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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