जैन बेकर्स एंड कन्फेक्शनरी के मालिक प्रशांत को चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन्होंने विज्ञापन में ‘नो मुस्लिम स्टाफ’ लिखवाया था। इससे एक धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने का उन पर आरोप है।
चेन्नई के टी नगर से 27 वर्षीय प्रशांत को ‘धार्मिक भेदभाव’ वाले विज्ञापन छपवाने को लेकर शुक्रवार को गिरफ्तार किया। आरोप है कि उन्होंने व्हाट्सएप पर सर्कुलेट किए गए विज्ञापन से समुदाय विशेष को खुलेआम ‘बदनाम’ किया।
दरअसल, बेकरी मालिक ने अपने प्रोडक्ट को लेकर एक विज्ञापन छपवाया था। विज्ञापन में अन्य जानकारियों के साथ लिखा था “Made by Jains on orders, no Muslim staffs”। यानी ऑर्डर पर सामान जैनी तैयार करते हैं, यहॉं कोई मुस्लिम काम नहीं करता। व्हाट्सएप पर इस विज्ञापन के वायरल होने के बाद पुलिस ने बेकरी के मालिक प्रशांत को गिरफ्तार किया।
‘धार्मिक भेदभाव’ वाले विज्ञापन छपवाने को लेकर अब बेकरी मालिक के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 153, 153A, 505 और 295A के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी इसी तरह का एक मामला झारखंड के जमशेदपुर से सामने आया था। पुलिस ने कुछ ऐसे फल दुकानदारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे, जिन्होंने ‘विश्व हिंदू परिषद द्वारा अनुमोदित फल दुकान’ के बैनर लगाए थे।
जमशेदपुर पुलिस का कहना था कि दुकानदारों पर ‘हिंदू’ शब्द लिखने के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, क्योंकि यह सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने की एक कोशिश है। इसी तरह बिहार के नालंदा में भी सब्जियों की दुकान पर भगवा झंडा लगाने को लेकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
हैरानी की बात है कि मुस्लिम लोग अपनी दुकान पर खुलेआम ‘मुस्लिम होटल’, ‘हलाल मीट शॉप’ लिख सकते हैं, तो फिर हिंदू क्यों नहीं? इतना ही नहीं, इनकी सबसे आपत्तिजनक शर्तों में से एक यह भी है कि हलाल मांस के काम में ‘काफ़िरों’ (‘बुतपरस्त’, गैर-मुस्लिम, जैसे हिन्दू) को रोज़गार नहीं मिलेगा। यानी कि यह काम सिर्फ मुस्लिम ही कर सकता है।
जब हलाल के काम में गैर मुस्लिमों को रोजगार नहीं मिल सकता है, वो खुले तौर पर लिखते हैं कि इसे कोई गैर मुस्लिम तैयार नहीं करता, तो फिर अगर जैन बेकरी वालों ने लिख दिया कि यहाँ पर सिर्फ जैन लोग ही ऑर्डर तैयार करते हैं, तो फिर इसमें गलत क्या है?