Saturday, November 23, 2024
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बेटों के खून से सने चावल माँ को खिलाने वाले वामपंथियों ने दिल्ली दंगों के लिए अमित शाह को ठहराया जिम्मेदार

सीपीएम का आरोप है कि दिल्ली दंगों में आक्रामक हिंदुत्व मॉब थी, जबकि दूसरा पक्ष इन हमलों से खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था। यही नहीं, सीपीएम का कहना है कि लगभग सभी जगहों पर पुलिस भी हिन्दुओं के साथ रही जिसके वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं।

दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने बुधवार (दिसंबर 09, 2020) को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर हिंसा भड़काने और और जाँच में पक्षपात का आरोप लगाया है। उससे भी बड़ी खबर यह है कि प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘दी टेलीग्राफ’ ने सीपीएम के इस आरोप को ‘फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट’ का दर्जा दिया है।

‘दी टेलीग्राफ’ के अनुसार, कथित फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट, जिसक शीर्षक ‘फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा’ है, में कहा गया है कि अमित शाह के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय की भूमिका इस हिंसा को बढ़ाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार थी।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि दिल्ली के दंगों को ‘सांप्रदायिक हिंसा’ कहना गलत है क्योंकि ‘दंगे’ एक ऐसी स्थिति का वर्णन करते हैं जहाँ दोनों पक्ष समान रूप से सहभागी हों। सीपीएम का आरोप है कि दिल्ली दंगों में एक ओर आक्रामक हिंदुत्व मॉब थी, जबकि दूसरी ओर के लोग इन हमलों से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे। यही नहीं, सीपीएम का कहना है कि लगभग सभी जगहों पर पुलिस भी हिन्दुओं के साथ रही जिसके वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं।

गौरतलब है कि इस साल फरवरी माह में दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में 53 लोग मारे गए थे। मरने वालों में आईबी अधिकारी अंकित शर्मा, दिलबर नेगी समेत दोनों समुदायों के लोग शामिल थे।

यह कथित ‘फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट’, सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात और राज्य सचिव केएम तिवारी, द्वारा पार्टी की ‘राहत और पुनर्वास एकजुटता समिति’ द्वारा किए गए साक्षात्कार में 400 लोगों की प्रतिक्रियाओं के संदर्भ और स्पष्टीकरण देने के लिए जारी की गई है।

वामपंथियों ने भाइयों को मारकर माँ को खिलाए थे खून से सने चावल

उल्लेखनीय है कि दिल्ली दंगों के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराने वाली यह वही कम्युनिस्ट पार्टी है, जिसके काडरों ने वर्ष 1969 में ही बंगाल के बर्दवान जिले के सेन भाइयों की हत्या कर अपने राजनीतिक नजरिए का परिचय दे दिया था। बंगाल के राजनीतिक इतिहास में सेनबाड़ी हत्या से शायद ही कोई अपरिचित हो। वर्ष 1977 से 2011 के 34 वर्षों के वामपंथी शासन के दौरान जितने नरसंहार हुए उतने शायद देश के किसी दूसरे राज्य में नहीं हुए।

सेनबाड़ी हत्याकांड के दौरान सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने घरों में आग लगा दी, परिवार के दो भाइयों, प्रणब कुमार सेन और मलय कुमार सेन को परिवार के सदस्यों के सामने काट दिया गया था। यही नहीं, एक निजी ट्यूटर, जितेंद्रनाथ राय, जो परिवार में बच्चों को पढ़ाने के लिए आए थे, को भी काट दिया गया था। बाद में मारे गए भाइयों की माँ को अपने मृत बेटों के खून से सना चावल खाने के लिए मजबूर किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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