Saturday, November 23, 2024
Homeराजनीतिप्रीतिश नंदी का ट्वीट बहुतों की हिंसक मानसिकता को उजागर करता है

प्रीतिश नंदी का ट्वीट बहुतों की हिंसक मानसिकता को उजागर करता है

'हिंदुओं के लिए घृणा और ‘लिबरल्स’ की विचारधारा से असहमत होने वाले व्यक्ति अपमान, पिटाई और अमानवीयता के ही योग्य हैं।' - यही वो संदेश है जो प्रीतिश नंदी प्रचारित करना चाहते हैं।

इसमें कोई दोराय नहीं कि स्व-घोषित ‘लिबरल्स’ शायद सबसे नॉन-लिबरल्स का नमूना होता है, जो हमेशा केवल अपने दृष्टिकोण को ही सर्वोपरि रखते हैं। इनके द्वारा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याओं का न केवल समर्थन किया गया बल्कि जश्न भी मनाया गया। इसका उदाहरण हम एक ट्वीट के ज़रिए नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं। इस ट्वीट में हत्याओं का समर्थन तब किया गया जब मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के गुंडों ने नागरिकों को पीटा और इस पर ‘पत्रकार’ प्रीतिश नंदी ने अपनी ख़ुशी प्रकट की।

प्रीतिश नंदी ने एक वीडियो का हवाला दिया, जिसमें मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा मुंबई निवासी को पिटते हुए देखा जा सकता है। मनसे प्रमुख द्वारा एक रैली के बाद उक्त निवासी ने फेसबुक पर राज ठाकरे की आलोचना की थी, और यह भी कहा था कि राज ठाकरे राष्ट्रविरोधी हैं। उस व्यक्ति ने केवल एक सार्वजनिक नेता की आलोचना करते हुए फेसबुक पर कुछ टिप्पणियाँ की थीं और ऐसा कुछ भी नहीं कहा था जो क़ानून के ख़िलाफ़ हो, जैसे कि हिंसा की धमकी देना। लेकिन राज ठाकरे के ख़िलाफ़ उनकी टिप्पणियों ने नेता जी के समर्थकों को इतना नाराज कर दिया कि वे उनके घर तक पहुँच गए और उन्हें शारीरिक रूप से चोट पहुँचाना शुरू कर दिया। इस वीडियो में यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि वह व्यक्ति अपनी टिप्पणियों के लिए माफ़ी माँग रहा था, लेकिन भीड़ उस पर लगातार हमला करती रही।

प्रीतिश नंदी ने राज ठाकरे की प्रशंसा करते हुए वीडियो को यह कहते हुए संदर्भित किया कि कोई तो है, जो यह जानता है कि कैसे भक्तों को उसी की भाषा में सूद सहित वापस दिया जाए। मतलब नेता राज ठाकरे के साथ कोई पंगा नहीं ले सकता।

यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जिस व्यक्ति की पिटाई की गई थी, उसने केवल अपने निजी फेसबुक पेज पर अपना विचार पोस्ट किया था, जिसमें उसने किसी को शारीरिक हिंसा पहुँचाने की कोई धमकी नहीं दी थी। फिर भी, प्रीतिश नंदी जैसे ‘बुद्धिजीवियों’ ने सोचा कि राजनीतिक गुंडों द्वारा एक नागरिक की लिखित विचार का जवाब उसे शारीरिक क्षति पहुँचाकर दिया जाना चाहिए। वे बिना किसी प्रमाण के ‘मोदी समर्थकों’ पर इसका आरोप मढ़ते हैं और दावा करते हैं कि मोदी के भारत में, बोलने की स्वतंत्रता हमेशा ख़तरे में है। लेकिन, ख़ुद प्रीतिश नंदी किसी व्यक्ति की राय के लिए उसे शारीरिक रूप से पिटाई करवाए जाने को ‘एक सबक सिखाना’ मानते हैं।

फेसबुक पर अपनी राय रखने के बदले में मनसे के गुंडों द्वारा एक व्यक्ति को धमकाना और उसकी पिटाई करने की घटना को NDTV के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने कोई महत्व नहीं दिया। MNS कार्यकर्ताओं द्वारा इस हिंसा की निंदा करने के लिए जैन ने टिप्पणी की थी, “हिंसात्मक गतिविधि का जवाब हिंसात्मक गतिविधि नहीं हो सकता।” यह जानते हुए कि मोदी समर्थक ने केवल फेसबुक पर अपनी राय व्यक्त की थी, जैन ने शारीरिक हिंसा को सही ठहराया। इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि जैन ने ऐसा सिर्फ़ इसलिए लिखा क्योंकि उस व्यक्ति के राजनीतिक विचार उनसे मेल नहीं खाते थे।

एक बार ऐसा भी मामला सामने आया था कि एक संपादक ने दारू पार्टी के साथ RSS प्रमुख की मृत्यु का जश्न मनाया था। लंबे समय से यह अफ़वाह है कि जब हिंदू कार्यकर्ताओं को मार दिया जाता था, तब तथाकथित लिबरल्स नियमित रूप से जश्न में शामिल होते थे। हिंसा के लिए इस तरह का खुला समर्थन इस तरह की घटनाओं को पैर पसारने का मौक़ा देता है।

राजदीप सरदेसाई ने कम्युनिस्टों द्वारा प्रशांत पूजारी की निर्मम हत्या को ‘राजनीतिक संदर्भ’ से जोड़ दिया था। बजरंग दल के कार्यकर्ता को केवल उसकी राजनीतिक विचारधारा के लिए निर्दयता से काट दिया गया था। इस पर राजदीप सरदेसाई ने बेशर्मी से एक लेख लिखा था, “प्रशांत पूजारी की हत्या के राजनीतिक संदर्भ, दादरी गोमांस की हत्या के साथ तुलना नहीं की जा सकती है” जिससे प्रशांत पूजारी और अन्य लगभग हिंदू कार्यकर्ता के हत्यारों को बौद्धिक रूप से सक्षम करार दिया गया।

दूसरी ओर, बरखा दत्त ने नाज़ियों का हवाला तब दिया जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन का उदाहरण दिया। जब उन्होंने कहा कि मुस्लिम आबादी में गुस्सा था क्योंकि हिंदू धनवान थे और उनके पास बेहतर आर्थिक अवसर थे।

हिंदुओं पर किए गए अत्याचार में घिरी दारुबाज एलीट का सबसे घृणित उदाहरण शायद साध्वी प्रज्ञा के साथ हुआ, उनकी यातना और उनकी दुर्दशा के बारे में ‘लिबरल’ चुप हैं। हाल ही में, जब साध्वी प्रज्ञा बीजेपी में शामिल हुईं और उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया, तो उन पर अपमानजनक टिप्पणी की गई क्योंकि उनकी पोशाक का रंग भगवा था।

हिंदुओं के लिए घृणा और ‘लिबरल्स’ की विचारधारा से असहमत होने वाले व्यक्ति अपमान, पिटाई और अमानवीयता के ही योग्य हैं। यही वो संदेश है, जो प्रीतिश नंदी और श्रीनिवासन जैन जैसे ‘लिबरल्स’ समाज में प्रचारित करना चाहते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में BJP की अगुवाई वाली महायुति ने रचा इतिहास, यूपी-बिहार-राजस्थान उपचुनावों में INDI गठबंधन को दी पटखनी: जानिए 15 राज्यों के...

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति ने इतिहास रच दिया। महायुति की तिकड़ी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए बहुमत से सरकार बनाने का रास्ता साफ किया।

अडानी के बाद अमेरिका के निशाने पर एक और भारतीय: न्याय विभाग ने संजय कौशिक पर अमेरिकी एयरक्राफ्ट तकनीक रूस को बेचने का लगाया...

अमेरिका में अडानी समूह के बाद एक और भारतीय व्यक्ति को निशाना बनाया गया है। संजय कौशिक नाम के एक और भारतीय नागरिक को गिरफ्तार किया गया है।
- विज्ञापन -