लव/ग्रूमिंग जिहाद की घटनाओं पर काबू पाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 27 नवंबर को विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लेकर आई थी। इस क़ानून को लागू किए जाने के बाद से ही कार्रवाई का सिलसिला जारी है। इस क़ानून को लागू हुए पूरे एक महीने बीत चुके हैं और इस अवधि में लगभग 12 एफ़आईआर दर्ज हो चुकी ही और 35 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। यानी पुलिस ने राज्य में हर दिन लगभग एक से ज़्यादा मामले दर्ज किए हैं।
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक़ एटा में लव/ग्रूमिंग जिहाद के 8 मामले, सीतापुर में 7 मामले, गेटर नोएडा में 4, शाहजहाँपुर और आजमगढ़ में 3, मुरादाबाद, मुज़फ़्फ़रनगर, बिजनौर और कन्नौज में 2, बरेली और हरदोई में 1 मामला दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में इसका पहला मामला दर्ज किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उवैस अहमद गाँव की ही एक छात्रा पर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था।
घटना बरेली जिले के देवरनिया क्षेत्र की थी, जिसकी शिकायत पीड़िता के पिता टीकाराम ने की थी। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपित के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। पीड़िता के पिता ने बताया था कि शरीफ़नगर गाँव के निवासी रफ़ीक अहमद के बेटे उवैस अहमद ने पढ़ाई के दौरान उनकी बेटी के साथ जान-पहचान बढ़ाई। दोनों के बीच काफी समय तक मित्रता रही, इसके बाद उवैस उनकी बेटी पर धर्म परिवर्तन कर शादी करने का दबाव बनाने लगा।
इसके अलावा अंतर्धार्मिक विवाह की जानकारी मिलते ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजधानी लखनऊ में एक शादी समारोह रुकवाया था। पुलिस ने दंपत्ति को शादी से पहले संबंधित दस्तावेज़ देने और क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा। वहीं उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में 19 वर्ष की युवती ने 11 दिसंबर को शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि मोहम्मद आज़ाद नाम के युवक ने शादी का झाँसा देकर उसके साथ बलात्कार किया।
कुछ समय बाद धर्म परिवर्तन करने का दबाव भी बनाया। इसके बाद पुलिस ने मोहम्मद आज़ाद पर उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण क़ानून, बलात्कार और मानव तस्करी का मामला दर्ज किया था। 16 दिसंबर को पुलिस ने आरोपित आज़ाद को गिरफ्तार किया था। इसी तरह यूपी पुलिस ने मुरादाबाद में नए क़ानून के तहत राशिद अली और सलीम अली को गिरफ्तार किया गया था। 16 दिसंबर को बिजनौर में एक व्यक्ति को लव/ग्रूमिंग जिहाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था। उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “हमने पुलिस प्रशासन से साफ कहा कि जब किसानों से मिलें तो हमारा संबोधन राम-राम होना चाहिए। हमारे यहाँ का किसान भाई जब मिलता है तो वह संबोधन में राम-राम बोलता है, तो राम शब्द का प्रयोग दो बार जरूर होना चाहिए। जब हम किसान भाइयों से मिलें तो हमारा संबोधन राम-राम होना चाहिए। जब सुरक्षा के साथ सेंध लगाने वाला कोई भी ऐसा दुराचारी, अपराधी बहन-बेटियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करे तो उसकी राम नाम सत्य की यात्रा भी निकालनी चाहिए। यह कार्य हम और पुलिस-प्रशासन सुनिश्चित करें।”