पिछले दिनों वरिष्ठ अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने उत्तर प्रदेश में ‘धर्मांतरण’ और ‘लव जिहाद’ के खिलाफ आए कानून के खिलाफ जम कर ज़हर उगला और मीडिया ने भी उनके बयान को जम कर प्रचारित किया। उन्होंने इस कानून को तमाशा तक बताया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ को लेकर तमाशा चल रहा है, उससे वे खासे आक्रोशित हैं। उन्होंने इसे समाज को विभाजित करने वाला बताते हुए कहा कि लोगों को ‘जिहाद’ का सही अर्थ ही नहीं पता है।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि इस देश में कभी भी मुस्लिमों की जनसंख्या हिन्दुओं से ज्यादा हो जाएगी। कोई बेहूदा ही इस पर यकीन करेगा। मुस्लिमों को अपनी जनसंख्या हिन्दुओं से ज्यादा करने के लिए अविश्वसनीय गति से बच्चे पैदा करने होंगे। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस पर विश्वास करेगा। उत्तर प्रदेश में लव जिहाद का तमाशा चलाया जा रहा है, ताकि हिन्दू-मुस्लिम के सम्बन्ध खराब हो जाएँ। उनके बीच सद्भाव न हो।”
नसीरुद्दीन शाह का कहना है कि हिन्दू और मुस्लिम लड़के-लड़कियाँ आपस में विवाह की सोच भी न पाएँ, इसलिए ये सब किया जा रहा है। उन्होंने रत्ना पाठक शाह के साथ अपनी शादी को मिसाल के तौर पर पेश किया, गोहत्या को लेकर राय दी और यूपी के नए कानून पर लोगों में डर पैदा करने और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए। उन्होंने ये बातें हर्ष मंदर के ‘कारवाँ-ए-मोहबब्त’ यूट्यूब पेज पर कही।
उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में निर्दोषों को पकड़ कर मारा जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शादी के शुभ मौके पर पुलिस आ जाती है और बाद में पता चलता है कि दूल्हा-दुल्हन दोनों मुस्लिम ही थे। उन्होंने पुलिस पर माफ़ी तक न माँगने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि ये दुनिया अब वो नहीं रही, जिसका उन्होंने सपना देखा था।
‘स्वराज्य मैग’ में पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने नसीरुद्दीन शाह की इस बयानबाजी का जवाब दिया है। स्वाति खुद ‘लव जिहाद‘ के कई मामलों की ग्राउंड रिपोर्टिंग का अनुभव रखती हैं। उनका मानना है कि नसीरुद्दीन शाह को यूपी के नए कानून के बारे में कुछ जानकारी ही नहीं है। दिसंबर 28 तक इस मामले में यूपी में 18 मामले दर्ज किए जा चुके थे। नए कानून के तहत दर्ज पहले 14 मामलों में से 9 में पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने आरोपों का समर्थन किया था।
14 में से 13 मामलों में पीड़िता हिन्दू महिला थी और आरोपित मुस्लिम थे। एक मामले में पीड़िता का कोई अता-पता ही नहीं है। कम से कम आँकड़े तो इस कानून की ज़रूरत पर बल देते हैं। मुरादाबाद में पिंकी नामक लड़की के परिजनों ने रशीद पर अपनी बेटी के अपहरण का मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। जैसे ही पिंकी ने कहा कि वो अपनी मर्जी से रशीद के साथ भागी थी और निकाह किया था, उसे तुरंत रिहा किया गया।
लेकिन, ऐसे एक मामले को लेकर नसीरुद्दीन शाह पूरे परिदृश्य को झुठला रहे हैं। स्वाति गोयल शर्मा ने पूछा है कि क्या पुलिस को पिंकी के परिजनों के बयान दर्ज करने से इनकार कर देना चाहिए था? जिस लड़की के माता-पिता को लगता है कि उनकी बेटी का अपहरण हुआ है, उसे खोजने की कोशिश पुलिस नहीं करती? अगर कोई आरोपित है तो उसे थाने नहीं लाया जाए? व्यस्तता के कारण पुलिस को बयान दर्ज करने में समय लग गया है, इस एक गलती के कारण शाह सारे मामलों को झुठला रहे हैं। स्वाति ने लिखा:
“प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ या देरी हो जाना किसी कानून को खराब नहीं बना देता। ऐसी गड़बड़ियाँ मजहब देख कर नहीं आती। इसके शिकार सिर्फ मुस्लिम नहीं होते। सभी होते हैं। 2 साल पहले 65 लड़कियों को ट्रैफिकिंग से बचा कर लाया गया था, लेकिन वो सभी अब तक सरकारी शेल्टर होम में थीं, क्योंकि बयान दर्ज नहीं किया गया था। जहाँ तक ‘जिहाद’ की परिभाषा की बात है, नसीरुद्दीन शाह क्या इसकी कोई कानूनी परिभाषा लाकर दे सकते हैं? वामपंथी मीडिया इसे हिंदुत्व की कांस्पिरेसी बताता है। ऐसी कई खबरें हैं, जहाँ हिन्दू महिलाओं ने किसी मुस्लिम आरोपित द्वारा धर्मांतरण के लिए झाँसा देने की बात कही है।”
Naseeruddin Shah’s first marriage was with Manara Sikri. She was 15 years older than him, and converted to Islam and changed her name to Parveen Murad to marry him. Their daughter is named Heeba Shah.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 25, 2021
Shah says he is a not a religious man https://t.co/RaSxwbZSzh
कुछ ही सप्ताह पहले बस्ती से 2 हिन्दू महिलाओं को रेस्क्यू किया गया था, जिसे एक मुस्लिम व्यक्ति जॉब का झाँसा देकर ले गया था। वो उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित कर उनकी तस्करी करने वाला था। खुद बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने ‘Pakistan, or The Partition of India‘ में लिखा था कि हिन्दुओं की ये सोच सही है कि हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्ध का मतलब ही है कि एक तरफ की लड़की और एक तरह का लड़का।
और हाँ, नसीरुद्दीन शाह की पहली पत्नी मनारा सीकरी भी एक हिन्दू ही थी, जिन्होंने शादी के बाद धर्मांतरण के जरिए इस्लाम अपना लिया था। इसके बाद उन्होंने अपना नाम परवीन मुराद रख लिया था। वो अपने शौहर से 15 वर्ष छोटी हैं। नसीरुद्दीन शाह खुद को ‘नॉन-मजहबी व्यक्ति’ बताते हैं, लेकिन बेटी का नाम हीबा रखा है। उनके और रत्ना पाठक शाह के बेटों का नाम इमाद और विवान है। और वो धर्मांतरण को लेकर ज्ञान दे रहे।