Saturday, November 23, 2024
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Vaariyamkunnan फिल्म: मोपला हिंदू नरसंहार के जिहादियों का हो रहा था महिमामंडन, विरोध के बाद स्थगित

वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान, जहाँ हजारों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ।

मलयालम फिल्म ‘वरियमकुन्नन’ (‘Vaariyamkunnan’) के निर्माताओं ने इस प्रोजेक्ट को स्थगित करने का फैसला किया है। बता दें कि कई लोगों द्वारा फिल्म निर्माताओं पर स्वतंत्रता आंदोलन के नाम पर जिहादियों के अपराधों पर लीपापोती करने का आरोप लगाने के बाद यह फैसला लिया गया है।

फिल्म ‘वरियमकुन्नन’ 1920 के दशक की शुरुआत में केरल में हजारों हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार करने के लिए जिम्मेदार जिहादी वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji) और अली मुसलियार (Ali Musaliar) के जीवन पर आधारित है। बढ़ते आक्रोश के बीच, फिल्म निर्माताओं ने कथित तौर पर विवादास्पद परियोजना को स्थगित करने का फैसला किया है। निर्देशक आशिक अबू ने हालाँकि अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फिल्म ‘वरियमकुन्नन’ को कंपास मूवीज लिमिटेड और अबू के ओपीएम सिनेमाज के संयुक्त वेंचर के रूप में अनाउंस किया गया था। मलयालम निर्देशक आशिक अबू ने विवादास्पद मलयालम अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन को अपनी पीरियड फिल्म ‘वरियमकुन्नन’ में कास्ट किया था, जो 2021 में रिलीज होने वाली थी। विवादास्पद फिल्म मोपला समुदाय के जिहादी नेताओं की कहानी पर आधारित है, जिन्होंने 1921 में मालाबार या मोपला सांप्रदायिक दंगों के दौरान हजारों हिंदुओं का नरसंहार किया था। 

जून 2020 में, विवादास्पद मलयाली अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने नई फिल्म की घोषणा करने के लिए फेसबुक का सहारा लिया था और अपने पोस्ट में जिहादियों की सराहना की थी। अभिनेता ने फिल्म के पोस्टर साझा करते हुए कहा था कि वरियमकुन्नथु एक ऐसे साम्राज्य के खिलाफ खड़े हुए, जिसने दुनिया के एक चौथाई हिस्से पर शासन किया।

केरल के मालाबार क्षेत्र में हिंदुओं पर बड़े पैमाने पर आतंक फैलाने वाले इस्लामिक आतंकवादी वरियमकुन्नथु के जीवन पर नई मलयालम फिल्म ने न केवल केरल में बल्कि पूरे देश में बड़े पैमाने पर हंगामा किया था।

फिल्म निर्माताओं पर आंदोलन की स्वतंत्रता की आड़ में मोपला हिंदू नरसंहार के जिहादियों के कुकर्मों को धोने का आरोप लगाया गया था। कई लोगों ने फिल्म के खिलाफ आपत्ति जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि फिल्म आतंकवादी को अंग्रेजों के खिलाफ ‘विद्रोह’ करने वाले के रूप में अपराध से मुक्त करने का एक और प्रयास था।

विरोध करने वालों ने आरोप लगाया था कि यह इतिहास को मिटाने का एक और प्रयास है और मालाबार या मोपला हिंदू नरसंहार के इतिहास को उनके हिंदू विरोधी कथा के अनुरूप लिखने का एक वीभत्स कार्य भी है। इससे पहले, अबू के ‘वरियमकुन्नन’ के पटकथा लेखकों में से एक ने भी फिल्म से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उसके पुराने विवादास्पद फेसबुक पोस्ट इंटरनेट पर फिर से शेयर होने लगे थे।

मोपला हिंदू नरसंहार और जिहादी वरियाम कुन्नथु हाजी कुंजाहमद हाजी

वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान, जहाँ हजारों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।

बता दें कि मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मजहबी भीड़ ने न केवल हमला बोला बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इस पर जानकारी दी गई।

केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने हजारों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।

खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया।

इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है। बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।

इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया था कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर पहने एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”

मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार के समुदाय विशेष के लोग हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नई इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।

लेकिन, आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।

लदीदा ने स्पष्ट तौर पर इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा उजागर करते हुए लिखा था, “हम हर जगह, हर पल मालकम एक्स, अली मुस्लीयर और वरियंकुन्नथ के बेटे-बेटियों और पोते-पोतियों के रूप में उपस्थित रहेंगे। वो सभी नारे हमारी आत्मा हैं और हमने अपने पूर्वजों से ही सीखा है कि राजनीति कैसे की जाती है। तुम लोगों के लिए भले ही वो नारे बस नारे ही हो लेकिन हमारे लिए वो हमारी पहचान हैं, जो हमें औरों से अलग करती है। हम पर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि हमें तुम्हारे सेक्युलर नारों का ही इस्तेमाल करना है। मैं स्पष्ट कर दूँ कि हम तुमसे बिलकुल अलग हैं, हमारे तौर-तरीके अलग हैं और हमारा आधार अलग है। इसीलिए, हमें सिखाने की कोशिश मत करो। हमारे बाप मत बनो।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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