राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कहा है कि जैसा सबरीमाला में किया गया, वैसा देश के अन्य मंदिरों में भी किया जा सकता है। संघ ने इस बात का डर जताया कि सबरीमाला की तरह ही देश के अन्य मंदिरों की अद्वितीय पूजा पद्धतियों को निशाना बनाने के लिए उन पर भी संवैधानिक नैतिकता के तर्क थोपे जा सकते हैं। ‘Citizens Meet to Save Sabarimala Traditions’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता जे नंदकुमार ने ये बातें कहीं।
प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक नंदकुमार ने कहा कि अगर इस साजिश को सीमा से परे ले जाया गया तो देश के अन्य मंदिर और उनकी पूजा प्रणाली भी इस से अछूते नहीं रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि सबरीमाला मंदिर को लगातार निशाना बनाए जाने के पीछे बहुत बड़ी साज़िश है। इस बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा:
“सबरीमाला मंदिर के मार्ग पर एक हवाई अड्डा बनाने की योजना है (सरकार की) और ये तभी लाभप्रद होगी जब मंदिर को साल के सभी 365 दिन खुला रखा जाए। इसीलिए मंदिर को एक तीर्थस्थल के बजाय बस एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं। इस साज़िश के पीछे जो भी लोग शामिल हैं, धीरे-धीरे उन सबका खुलासा होगा।”
बता दें कि सबरीमाला मंदिर को साल में कभी-कभार ही खोला जाता है और इसके लिए अवधि निर्धारित रहती है। मंदिर को वार्षिक तीर्थयात्रा, मलयाली नववर्ष और कुछ उत्सवों के दौरान ही खोला जाता है। नंदकुमार ने आरोप लगाया कि सरकार इसे सालों भर खोले रखने के लिए श्रद्धालुओं पर अत्याचार कर रही है।
ज्ञात हो कि प्रज्ञा प्रवाह RSS की एक संस्था है। इसकी शुरुआत सुदर्शन, दत्तोपंत ठेंगड़ी, पी. परमेश्वरन ने मिलकर की थी। यह बुद्धिजीवियों का एक संगठन है, जो बुद्धिजीवी वर्ग में संघ की पैठ मज़बूत करने का काम करता है। बुद्धिजीवी वर्ग में लेफ्ट की पकड़ को देखते हुए संघ ने अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख रहे जे नंदकुमार को मार्च 2017 में प्रज्ञा प्रवाह का अखिल भारतीय संयोजक बनाया था। नंदकुमार केरल के हैं। लेफ्ट को काउंटर करने की उनकी रणनीति को देखते हुए संघ ने उन्हें दिल्ली बुला कर यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी।
The warriors of Lord Ayyappa is on their way back to Pandalam with Thiruvabharanam ( Sacred ornaments).
— J Nandakumar (@kumarnandaj) January 20, 2019
They were there when the war began,
They were there in the front when the war was on,
Now they come, the triumphal march.#SaveSabarimalaTradition pic.twitter.com/LUPCz8fsQS
सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता के लिए जाने जाने वाले नंदकुमार ने सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस इंदु मल्होत्रा द्वारा उठाए गए सवालों की महत्ता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट 4-1 के बहुमत से दिए गए अपने इस निर्णय की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, तब जरूर इस पर कोई सकारात्मक फैसला लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जब सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 उम्र तक की महिलाओं को प्रवेश की इजाज़त दी थी, तब पाँच जजों की पीठ में जस्टिस इंदु मल्होत्रा एकमात्र ऐसी जज थीं, जिनकी राय बाकी चारों जजों से अलग थी। जस्टिस मल्होत्रा ने कहा था कि धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर किसी को किसी धार्मिक प्रथा में भरोसा है, तो उसका सम्मान होना चाहिए, क्योंकि ये प्रथाएं संविधान से संरक्षित हैं। जस्टिस मल्होत्रा ने कहा था की कोर्ट का काम प्रथाओं को रद्द करना नहीं है।
जे नंदकुमार ने जस्टिस मल्होत्रा की इसी राय को लेकर आशा जताया कि कोर्ट इस मामले में आगे श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुकूल निर्णय लेगा। इसके अलावा उन्होंने अपनी प्रथा की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे श्रद्धालुओं पर क्रूरता दिखाने के लिए केरल पुलिस की निंदा की। उन्होंने दावा किया कि 10,000 से भी अधिक आम लोगों को केरल पुलिस ने गलत केस दर्ज कर फँसाया है।