जब कभी तिब्बत की बात होती है तो चीन के पेट में मरोड़ उठने लगती है। अवैध कब्जा जो किया है। इसी क्रम में हाल ही में पार्टी लाइन से इतर केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ( Rajeev Chandrasekhar) की अध्यक्षता में छह भारतीय सांसदों ने तिब्बत की निर्वासित संसद द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद चीनी दूतावास ने पत्र लिखकर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है।
इस कार्यक्रम में चंद्रशेखर के अलावा, भाजपा की मेनका गाँधी (Maneka Gandhi) और केसी राममूर्ति (KC Ramamurthy), कॉन्ग्रेस सांसद जयराम रमेश (Jairam Ramesh) और मनीष तिवारी (Jairam Ramesh), बीजू जनता दल के सुजीत कुमार (Sujeet Kumar) 22 दिसंबर 2021 को दिल्ली के इंपीरियल होटल में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल भी मौजूद रहे।
तिब्बती संसद की वेबसाइट में बताया गया है कि सांसदों ने ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत (APIPFT) की वकालत कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम एक सप्ताह से अधिक समय तक चला। कहा जा रहा है कि 6 सांसदों के अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, स्वपन दासगुप्ता, चंदेश्वर प्रसाद, सुरेश कुमार कश्यप, सबतागिरी उल्का और रानी प्रतिभा सिंह भी इस कार्यक्रम में शामिल हुई थी।
आधिकारिक तिब्बती कार्यक्रम में शामिल होने वाले मंत्रियों और सांसदों के इस कदम को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि 22 फरवरी 2018 को भारत सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को देखते हुए वरिष्ठ नेताओं और सरकारी पदाधिकारियों को तिब्बती नेताओं द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से दूर रहने को कहा था।
गौरतलब है कि चीनी राजनयिक के राजनीतिक सलाहकार झोउ योंगशेंग ने इस मामले में पत्र लिखकर ‘तिब्बती स्वतंत्रता बलों’ का समर्थन करने से परहेज करने को कहा था।
सांसदों ने चीनी दूतावास को दिखाया आईना
चीन की इस हरकत पर APPFI के संयोजक बनाए गए बीजू जनता दल के सांसद सुजीत कुमार ने कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सांसदों को पत्र लिखने वाला चीनी दूतावास का राजनीतिक सलाहकार होता कौन है? भारतीय सांसदों को पत्र भेजने की आपकी हिम्मत कैसे हुई? अगर कुछ भी हो तो आप आधिकारिक चैनल के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं। मुझे लगता है कि इस मामले में विदेश मंत्रालय को स्टैंड लेना चाहिए।” इसी तरह का एक पत्र कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश को भी मिला है।