महिला सम्मान के नाम पर आज सोशल मीडिया पर औरतों को दो धड़े में बाँट दिया गया है। एक वो जिनके साथ घटित किसी भी घटना पर लिबरल समाज वोकल हो जाता है और दूसरा वो जिनके साथ हुई अभद्रता को सिर्फ इसलिए किनारे करने का प्रयास होता है क्योंकि उनकी विचारधारा या धर्म एक नहीं होता। उदाहरण से समझें तो पिछले दिनों महिला सम्मान को आहत करने वाले दो मामले सोशल मीडिया पर आए। पहला बुल्ली बाई ऐप से जुड़ा और दूसरा ओलंपिक मेडलिस्ट सायना नेहवाल से जुड़ा। दोनों घटनाओं में ओछेपन की सीमा को लांघा गया। मगर, जब प्रतिक्रिया देने की बात आई तो कई जगह नेहवाल के केस में चुप्पी साध ली गई। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका झुकाव बीजेपी की ओर है।
अब इसी विषय पर भाजपा महिला मंत्री स्मृति ईरानी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बयान दिया है। उन्होंने जहाँ बुल्ली बाई को लेकर खुलकर कहा कि धर्म से परे, महिलाओं को सोशल मीडिया पर गरिमा से वंचित रखा गया है और वो आभारी हैं ऐसी पुलिस की जो इस मामले में जाँच कर रही है। वहीं सायना नेहवाल पर बात रखते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को केवल ऐप के जरिए ऑब्जेक्टिफाई नहीं किया जाता है बल्कि राजनैतिक पद के कारण भी उन्हें नीचा दिखाया जाता है।
ईरानी द्वारा महिलाओं के लिए की गई ये टिप्पणी बताती है कि जिस बीजेपी से जुड़े होने पर नेहवाल पर घटिया टिप्पणी की गई उनके लिए जितना नेहवाल का अपमान बड़ा विवाद है और उतना ही बुल्ली बाई ऐप के तहत शिकार बनाई गई सामान्य महिलाओं का भी। लेकिन दूसरी ओर ऐसा नहीं है। बुल्ली बाई मामला जब खुला तो सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई। पुलिस ने कार्रवाई में तेजी दिखाई और कुछ ही दिन में आरोपित हमारे सामने थे जबकि सायना नेहवाल पर की गई टिप्पणी को तीन-चार दिन बाद तूल मिला। ये हाल तब हुआ जब सायना भी खेल जगत की मशहूर हस्ती हैं और सिद्धार्थ भी फिल्म जगत का चेहरा हैं।
खैर! ये सब पहली बार नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे तमाम मामले में हैं जब हिंदू महिलाओं को निशाना बनाते हुए सामग्री रची या गढ़ी जाती रही। लेकिन, न उन पर कोई वोकल हुआ और न ही किसी ने कार्रवाई की माँग की। बात चाहे ऐप की हो, पेज की हो, टेलीग्राम चैनल की हो या फिर फिल्म-फिक्शन या नोवल की…हर माध्यम में हिंदू महिलाएँ निशाने पर रहीं।
जैसे अंशुल सक्सेना नामक ट्विटर यूजर ने हाल में हिंदू महिलाओं से संबंधी कुछ चैनल व पेज उजागर किए थे जिनमें हिंदू औरतों की फोटो साझा करके उन्हें बदनाम करने का कार्य हो रहा था लेकिन कार्रवाई न किसी प्लेटफॉर्म पर हो रही थी न ही कोई आगे आकर इस संबंध में शिकायत कर रहा था।
विवाद उठने पर पता चला कि टेलीग्राम पर Hindu Ran%&an नाम से बकायदा एक चैनल चल रहा था और फेसबुक पर हिंदू औरतों को मुस्लिम मर्दों की दीवानी भी कहा जा रहा था। इन सभी मामलों में हमारे लिए सबसे घटिया बात ये है कि ऐसे पेजों से चैनलों से सैंकड़ों लोग जुड़े थे जो न तो इसकी रिपोर्ट कर रहे थे और न ही इसके विरोध में आवाज उठा रहे थे। मुस्लिम मर्द औरत का प्यासा नाम से एक फेसबुक पेज पर 872 लोग जुड़े थे। एक हन्नी जान नाम का यूजर इसमें पूछ रहा था कोई हिंदू औरत ऑनलाइन है क्या?
‘Hindu Ran*yan’ नाम से बने टेलीग्राम चैनल को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने करवाया ब्लॉक, मुंबई पुलिस ने नहीं दिया जवाबhttps://t.co/a63EjRy68r
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 5, 2022
अब ऐसा नहीं है कि कोई सामान्य व्यक्ति जो गलत मंशा न रखता हो वो इन पेजों से होकर नहीं गुजरता या फिर आपको या हमें ऐसे कंटेंट सोशल मीडिया पर देखने को नहीं मिलते। लेकिन ये हिंदुओं का लापरवाह रवैया ही होता है कि ग्रुप्स दिखने के बाद भी उनकी रिपोर्ट नहीं होती और जब बुल्ली बाई ऐप जैसी ऐप बनती हैं तब जाकर ध्यान आता है कि इस प्रकार प्रताड़ित तो हिंदू महिलाएँ भी की जाती हैं और फलाने जगह आपने हमने तस्वीरें देखीं।
पिछले दिनों, एक विस्तृत रिपोर्ट के जरिए ऑपइंडिया पर आपको तमाम ऐसे अकॉउंट के बारे में बताया गया था जिसमें खुलेतौर पर हिंदू महिलाओं का अपमान हो रहा था, जिसमें उनकी अश्लील तस्वीरें शेयर की जा रही थीं, उन्हें लेकर अभद्रता की हर सीमा लांघी जा रही थी। एक वेबसाइट का भी पता चला था जिसके लेख में लिखा गया था “हिन्दू महिलाओं की इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए मुस्लिम मर्द बेहतर होते हैं, ऐसा एक महिला हिन्दू एक्टिविस्ट का कहना है। उनका कहना है कि मुस्लिम मर्द ज्यादा आनंद देते हैं। मुस्लिम मर्दों के फौलादी ___ के लिए हिन्दू लड़कियाँ पागलों की तरह प्यार करती हैं।”
अब सोचिए ये कंटेंट किसी मजहब विशेष के लोगों तक सीमित नहीं है। ये सब पब्लिक डोमेन में है। बावजूद इसके हम इंतजार करते हैं इनपर अंशुल सक्सेना जैसा कोई आकर आवाज उठाए या जब सायना नेहवाल के लिए गलत टिप्पणी हो तो फिर लीक देखकर उसका विरोध किया जाए।
‘हिंदू लड़कियों को पसंद है मुस्लिमों का…’ से लेकर ‘हिंदू रखैल… मुस्लिम मर्द की दीवानी’: सोशल मीडिया पर धर्म को निशाना बना अश्लीलता, जुड़े हैं हजारों
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 5, 2022
ऐसी-ऐसी तस्वीरें और शब्दावली, जिन्हें हम दिखा भी नहीं सकते।@anupamnawada डिटेल में बता रहे सब कुछ।https://t.co/h5IFzJuABw
बता दें कि ये मामले हाल-फिलहाल के नहीं है कि सोशल प्लेटफॉर्म पर हिंदू महिलाएँ निशाने पर ली जा रही हों। साल 2020 में भी अमेजन के किंडल एडिशन पर तमाम अश्लील सामग्री का खुलासा हुआ था। इसमें हिंदू महिलाओं और मुस्लिम पुरूषों का जिक्र किया गया था। लगभग 20 किताबें ऐसी मिली थीं जिनमें हिंदू महिलाओं के चरित्र पर सवाल खड़ा किया गया था और मुस्लिम पुरूषो को एक स्टड की भाँति दर्शाया गया था।
किताब के नाम- “Indian Hindu wife’s affair with her Muslim lover, Indian wife cheating: sex with neighbour, Four tales of high-class married Hindu women being taken by low-class Muslim males” से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके अंदर कंटेंट क्या परोसा गया होगा। इन रेप साहित्यों में हिंदू औरत के लिए रं%$ और कु^या जैसे शब्द थे और ये भी दावा था कि हिंदू महिला बलात्कार का आनंद लेती हैं। स्वाति गोयल शर्मा द्वारा लिखित इस रिपोर्ट के बाद महिला आयोग ने इस रेप साहित्य पर संज्ञान लिया था। कार्रवाई भी हुई थी। कई किताबों को अमेजन ने हटा दिया था जबकि कथिततौर पर कई किताबें अब भी किंडल जैसे माध्यम पर मौजूद हैं।
Two weeks ago, @SanjeevSanskrit & I reported how @amazonIN was making money by selling porn & rape fantasy novels, specifically depicting Hindu women & Muslim men
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 15, 2021
After our report, Amazon removed a few books, but many still remain on @KindleIndia
Report:https://t.co/X9VNrVMLqB
उक्त मामले वो हैं जिनपर हमारी नजर गई या जो किसी विवाद के कारण चर्चा में है। लेकिन इनके अलावा भी ऐसे कई केस हैं जब सायना नेहवाल या हिंदू औरतें ही नहीं बल्कि हिंदुओं के देवी-देवताओं को लेकर गाली-गलौच हुआ। हीर खान जैसी महिलाओं ने माँ सीता को लेकर भद्दी-भद्दी गालियाँ दी। हालाँकि जब उसके विरोध में आवाज उठाने की बात आई, तो पूरा लिबरल गिरोह चुप होकर शांत बैठ गया। आज भी यही कारनामा धड़ल्ले से हो रहा है। मसलन बुल्ली बाई पर जितना जितना बोला गया उसे देख साफ है कि अगर सायना की जगह कोई साइमा होती तो लिबरल उसके लिए भी आवाज उठाते। हर किताब, हर पेज और हर चैनल का विरोध होता। न कोई चुप रहता न किसी के अकॉउंट पर सन्नाटा छाता।