Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाजचीनी कंपनियों ने भारतीय तांबा बाजार पर कब्जा करने के लिए वेदांता विरोध-प्रदर्शन को...

चीनी कंपनियों ने भारतीय तांबा बाजार पर कब्जा करने के लिए वेदांता विरोध-प्रदर्शन को फंड दिया

कंपनी का कहना है कि स्टरलाइट भारत के तांबे की माँग का लगभग 38% आपूर्ति कर रहा था। संयंत्र को बंद करने के दबाव में, यह माँग विदेशी कंपनियों द्वारा पूरी की गई।

गुरुवार को, वेदांता के वरिष्ठ वकील, सी आर्यमा सुंदरम, ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि चीनी कंपनियों ने स्टरलाइट के विरोध प्रदर्शन को फंड दिया था जिसके परिणामस्वरूप थिपुकुडी में SIPCOT में अपनी तांबा गलाने की इकाई को बंद कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये चीनी कंपनियाँ भारतीय तांबा बाजार (कॉपर मार्केट) पर कब्ज़ा करने में रुचि रखती थीं।

सुंदरम ने तमिलनाडु सरकार द्वारा तूतीकोरिन में अपनी तांबा गलाने की इकाई को बंद करने के आदेश को चुनौती देते हुए ये आरोप लगाए। उन्होंने डिवीज़न बेंच को बताया, “इन कंपनियों ने स्टरलाइट के ख़िलाफ़ आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन को बढ़ावा दिया और फंड भी दिया। तांबे के लिए भारत का आयात बिल $ 2 बिलियन है, यह माँग स्टरलाइट द्वारा पहले से की जा रही थी।”

उन्होंने कहा कि स्टरलाइट भारत के तांबे की माँग का लगभग 38% आपूर्ति कर रहा था। संयंत्र को बंद करने के दबाव में, यह माँग विदेशी कंपनियों द्वारा पूरी की गई।

बाद में सुंदरम ने बताया कि SIPCOT औद्योगिक परिसर में 63 कंपनियाँ थीं। इसमें 10 लाल श्रेणी की कंपनियाँ शामिल थीं जो ख़तरनाक सामग्री को संभालने का काम करती थीं। 

इसके अलावा सुंदरम ने इस बात पर भी संदेह व्यक्त किया कि स्टरलाइट विरोधी- प्रदर्शनकारियों ने 20,000 लोगों को इकट्ठा करने का प्रबंधन कैसे किया। सुंदरम ने कहा कि 13 लोगों की मौत के बाद प्लांट को सरकार ने बंद कर दिया था। फिर भी, अदालत में अपनी दलीलों में, सरकार ने इसका कारण पर्यावरण प्रदूषण बताया।

उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई, जो अब तक फायरिंग की जाँच कर रही थी, अब तक कंपनी को जाँच के लिए नहीं बुलाया गया। इसके बावजूद, दंड स्वरूप कंपनी को बंद करने का आदेश दे दिया गया।

कल (27 जून), वेदांता ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया था कि निहित स्वार्थ वाले एनजीओ और कार्यकर्ताओं ने स्टरलाइट विरोधी-प्रदर्शनों का आयोजन किया था। स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन के कारण पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 13 प्रदर्शनकारी मारे गए। इसके चलते मई 2018 में प्लांट बंद हो गया था।

एनजीटी ने साबित किया था कि कंपनी सभी पर्यावरण मानदंडों का पालन कर रही थी और सरकार को इसे फिर से खोलने का निर्देश दिया। हालाँकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और संयंत्र को फिर से खोलने के आदेश को वापस ले लिया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -