बीबीसी हिंदी ने शुक्रवार (18 मार्च, 2022) को होली का त्योहार मानते हुए देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का शुभकामना सन्देश ट्विट किया। बीबीसी हिंदी ने ट्वीट में लिखा, “देश भर में होली का उल्लास, राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने दी बधाई”
दिलचस्प बात यह है कि बीबीसी हिंदी ने होली के अवसर पर गैर-मुसलमानों के साथ रंगों से खेलते हुए एक मुस्लिम जोड़े, विशेष रूप से बुर्का-हिजाब पहनी मुस्लिम महिला की तस्वीर का इस्तेमाल किया था।
भले ही बीबीसी ने होली के त्यौहार पर ‘लिबरल’ इरादों के साथ मुस्लिम महिला-पुरुष की छवि का इस्तेमाल किया। लेकिन, मीडिया आउटलेट द्वारा इस्तेमाल की गई तस्वीर ने मुस्लिम कट्टरपंथियों को ट्रिगर कर दिया और उन्होंने ट्विटर पर ‘इस्लामोफोबिया’ का जमकर रोना रोया।
कई कट्टरपंथी मुस्लिम ट्विटर पर वामपंथी मीडिया आउटलेट बीबीसी की ट्विटर टाइमलाइन पर कूद पड़े और उन पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
एक यूजर उमरुलय्यार ने बीबीसी पर तंज कसते हुए कहा कि ट्वीट में इस्तेमाल की गई तस्वीर पूरी तरह से घृणित और शर्मनाक है। यूजर ने दावा किया कि ‘संघी गुंडों’ ने नफरत और गंदगी के साथ जो साझा किया, उसे बीबीसी ने सामान्य कर दिया। होली को हिंदू त्योहार बताते हुए, सोशल मीडिया यूजर ने बीबीसी से तस्वीर को हटाने की माँग की।
एक अन्य यूजर मोहम्मद वकील खान ने बीबीसी से कहा, अबे जहरीले पत्रकार एक मुस्लिम औरत को एक गैर मर्द (उसके गालो को छुए) हाथ लगाए ये कौन सा भाई चारा है बे?, भड़ुए फोटो डिलीट कर।”
शाहबाज इमाम ने मुस्लिमों द्वारा होली के त्योहार की तस्वीरें पोस्ट करने के लिए बीबीसी की खिंचाई की और पूछा कि क्या बीबीसी पागल हो गया है। उन्होंने कहा कि बीबीसी में काम करने वाले ब्राह्मणों ने मुस्लिम महिला पर रंग डालने की तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर हिंदू महिलाओं के साथ भी ऐसा ही हुआ तो क्या होगा।
अरशद खान ने होली के त्योहार पर मुस्लिमों की तस्वीरों का उपयोग करने के लिए बीबीसी के दुस्साहस पर टिप्पणी की।
अरसल ने कहा कि बीबीसी हिंदी की चित्रित छवि केवल मुसलमानों के प्रति उनके पागलपन को दर्शाती है।
एक अन्य मुस्लिम यूजर ने ब्रिटिश मीडिया आउटलेट को ‘बीसी’ कहकर गाली दी।
मुस्लिम कट्टरपंथी सोशल मीडिया यूजर्स बीबीसी को जमकर धमका रहे हैं और माँग कर रहे हैं कि ब्रिटिश मीडिया आउटलेट होली के मौके पर मुस्लिम महिलाओं को रंगों से खेलते हुए ट्वीट को हटा दे। कुछ यूजर्स ने यह भी माँग की कि बीबीसी को फीचर्ड इमेज को बदलना चाहिए और अपने ‘इस्लामोफोबिक’ ट्वीट के लिए माफी माँगनी चाहिए।
खैर, यह पहली बार नहीं है कि इस्लामवादियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मीडिया द्वारा डाली गई चुनिंदा तस्वीरों पर आपत्ति जताई है। पिछले साल, इस्लामवादियों ने एक ट्वीट को हटाने के लिए NDTV को धमकाया था, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति की कोरोना वायरस के लिए परीक्षण करने वाली छवि थी।
मुस्लिम, जो अक्सर समाज में खुद को वरीयता न दिए जाने का रोना रोते हैं। और जब उनको कोई कहीं सामान्य तरीके से प्रमोट करता है। तो मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर से ही परेशान हो जाते हैं। ऐसे ही उन्होंने एनडीटीवी पर ‘इस्लामोफोबिया’ को बढ़ावा देने और फोटो हटाने के लिए मजबूर किया था।