Friday, November 15, 2024
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मदद के नाम पर लोगों का पैसा खाने वाली इस्लामिस्ट पत्रकार राणा अय्यूब ने अब गौ तस्करों को लेकर फैलाई फेक न्यूज

आश्चर्य की बात ये है कि ऑपइंडिया को कोसने से पहले किसी ने भी एक बार इस रिपोर्ट को खोलकर पढ़ने की जहमत नहीं हुई। सभी ने राणा अय्यूब के फेक न्यूज को सच मान उसके पीछे चल पड़े।

वाशिंगटन पोस्ट की कॉलमनिस्ट और कथित पत्रकार राणा अय्यूब ऑपइंडिया द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल कर गुरुवार (12 मई 2022) को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुई गौ तस्करी की घटना पर एक अलग ही राग अलापना शुरू कर दिया। ऐसा करने के लिए भी उन्होंने पहले फेक न्यूज फैलाई।

गुरुवार (12 मई) को ऑपइंडिया ने इस बात को रिपोर्ट किया कि किस तरह से गौ तस्करी कर ले जा रहे जीशान, सद्दाम और कासिम को मुठभेड़ के बाद गाजियाबाद पुलिस ने पकड़ लिया। हमने ये रिपोर्ट किया था कि ये तीनों आरोपित स्कॉर्पियो में गाय चोरी कर भाग रहे थे। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने पीछा किया तो उनकी गाड़ी एक पेड़ से टकरा गई। जब इनसे सरेंडर के लिए कहा गया तो इन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। इसमें एक कॉन्स्टेबल बुरी तरह से घायल हो गया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में तीनों गौ तस्कर घायल हो गए और गाय को उनके चंगुल से बचा लिया गया।

ऑपइंडिया ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपने आधिकारिक हैंडल पर इसी खबर को शेयर किया था, जिसका शीर्षक था “गाजियाबाद: मवेशी तस्कर जीशान, सद्दाम और कासिम को पुलिस मुठभेड़ में लगी गोली, चोरी की गई गाय को बचाया गया”

आदतन फेक न्यूज पेडलर राणा अय्यूब ऑपइंडिया के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “जब एक दक्षिणपंथी, प्रोपेगेंडा वेबसाइट भारत की बदसूरत सच्चाई का खुलासा करती है”।

जैसा कि देखा जा सकता है कि ऑपइंडिया ने अपनी हेडलाइन में ‘शॉट’ शब्द का उल्लेख किया है न कि ‘शॉट डेड’। रिपोर्ट में भी हमने पहले पैराग्राफ में ही स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि तीनों गौ तस्कर आरोपितों और पुलिस के बीच हुई ‘मुठभेड़’ में ‘घायल’ हो गए थे।

ऑपइंडिया द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

लेकिन ऑपइंडिया को बदनाम करने की जल्दबाजी में वामपंथी पत्रकार ने आर्टिकल को खोले बिना ही हेडलाइन में दिए गए ‘शॉट’ शब्द को ‘शॉट डेड’ समझ लिया।

बस फिर क्या था, लेफ्ट-लिबरल विचारधारा वाले कई अन्य ट्विटर यूजर इस्लामिस्टों को पीड़ित बताने के लिए कूद पड़े। राणा अय्यूब के ट्वीट के जवाब में ट्विटर यूजर @TheJadedQueen ने भारतीय मुस्लिमों के लिए खेद व्यक्त किया। इसके साथ उसने @hrw@amnesty@BorisJohnson@UNHCRUK को टैग करते हुए लिखा कि गायों के लिए हमेशा मुस्लिम पुरुषों को ही मारा जाता है।

फोटो साभार: ट्विटर

इसी तरह से @LivedShahid नाम के यूजर ने भी राणा अय्यूब के ट्वीट पर रिएक्ट करते हुए कहा कि मोदी शासन में पशुओं को बचाने के नाम पर मुस्लिमों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

फोटो साभार: ट्विटर

एक अन्य ट्विटर यूजर @Introvertguy111 ने लिखा कि अधिकारी हत्यारों और बलात्कारियों के प्रति अधिक संवेदनशील थे। उसने यही मान लिया था कि तस्करों को पुलिस ने मार गिराया है।

फोटो साभार: ट्विटर

आश्चर्य की बात ये है कि ऑपइंडिया को कोसने से पहले किसी ने भी एक बार इस रिपोर्ट को खोलकर पढ़ने की जहमत नहीं हुई। सभी ने राणा अय्यूब के फेक न्यूज को सच मान उसके पीछे चल पड़े। हालाँकि, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि तस्करों ने एक गाय चुराई थी और पहले पुलिस पर गोली चलाई थी, ड्यूटी पर तैनात एक कॉन्स्टेबल को भी घायल कर दिया।

राणा अयूब पर डोनेशन फ्रॉड का आरोप

गौरतलब है कि राणा अय्यूब वही ‘पत्रकार’ हैं, जो कोरोना में मदद के नाम पर केटो के जरिए क्राउड फंडिंग से धन की उगाही करने और उसे व्यक्तिगत लाभ के लिए खर्च करने के मामले में जाँच के दायरे में हैं। फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का उल्लंघन करने के मामले में अय्यूब की 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क किया था।

आप राणा द्वारा एकत्र किए गए कोविड फंड के दुरुपयोग के आरोपों के बारे में यहाँ पढ़ सकते हैं। अय्यूब एक आदतन फेक न्यूज पेडलर हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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