कोरोना वायरस के बीच दुनिया के कई देश मंकीपॉक्स की चपेट आ गए हैं। वायरस को लेकर WHO चिंतित है। WHO के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, यूके और यूएस के बाद अब भारत में भी मंकीपॉक्स के केस समाने आने लगे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि मंकीपॉक्स के मामले और बढ़ सकते हैं। मंकीपॉक्स को लेकर एक नया दावा यह है कि ये रोग यौन संबंधों के कारण भी फैल रहा है।
यौन संबंध से फैलता है ये वायरस ?
मंकीपॉक्स को लेकर अब तक यही तथ्य सामने था कि ये जानवरों से फैलता है, लेकिन अब डब्ल्यूएचओ का दावा है कि ये यौन संबंधों के जरिए भी फैल सकता है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है इस रोग के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। वायरस त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आँख, नाक और मुँह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। मानव-से-मानव में ये आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के जरिए ही फैलता है।
WHO का कहना है कि यूरोप में हाल में हुईं दो रेव पार्टी में सेक्सुअल एक्टीविटीज के कारण मंकीपॉक्स तेजी से फैला है। WHO के इमरजेंसी डिमार्टमेंट के हेड रहे डॉ डेविड हेमन ने कहा कि यौन संबंधों की वजह से इस बीमारी का फैलाव हुआ है।
WHO एक्सपर्ट का कहना है कि स्पेन और बेल्जियम में आयोजित दो रेव पार्टी में समलैंगिकों और अन्य लोगों के बीच सेक्सुअल एक्टीविटीज की वजह से बीमारी का प्रसार हुआ है। मंकीपॉक्स तब फैल सकता है, जब संक्रमित के करीबी संपर्क में कोई आता है और यौन संबंधों की वजह से इस बीमारी का प्रसार और बढ़ जाता है। जर्मनी में भी मंकीपॉक्स के बढ़ने का कारण पार्टी को माना जा रहा है, जहाँ, सेक्सुअल एक्टीविटीज हुई थी।
कितनी संक्रामक ये बीमारी?
मंकीपॉक्स संक्रामक बीमारी है और इसके खतरे कम नहीं, लेकिन ये कोरोना संक्रमण जितनी खतरनाक नहीं है। हेमन ने मौजूदा महामारी का आकलन करने के लिए संक्रामक रोग पर डब्ल्यूएचओ के परामर्श समूह की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि मंकीपॉक्स ज्यादा संक्रामक रूप में बदल सकता है। मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, ठंड लगने, चेहरे या जननांगों पर दाने और घाव का कारण बनता है।
यह किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके कपड़ों या चादरों के संपर्क के माध्यम से फैल सकता है, लेकिन अभी तक यौन जनित संक्रमण का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है। अधिकतर लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती और कुछ हफ्तों के भीतर बीमारी से ठीक हो जाते हैं। चेचक के खिलाफ टीके मंकीपॉक्स को रोकने में भी प्रभावी हैं और कुछ एंटीवायरल दवाएँ विकसित की जा रही हैं।