सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर शर्मा के ऊपर सभी राज्यों में दर्ज FIR को दिल्ली में स्थानांतरित किया जाएगा। भविष्य में भी कोई FIR दर्ज होती है तो उसे दिल्ली वाले FIR में ही मिला लिया जाएगा। बंगाल सरकार ने बताया कि पहली FIR नूपुर शर्मा ने ही अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज की थी और इसमें वो शिकायतकर्ता हैं। नूपुर शर्मा के वकील ने बताया कि अगली FIR दिल्ली में है, जबकि मेनका गुरुस्वामी ने दावा किया कि पहली FIR महाराष्ट्र में दर्ज की गई थी।
पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की याचिका पर बुधवार (10 अगस्त, 2022) को फिर से सुनवाई की। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई न करने के लिए पुलिस को निर्देशित किया था। नूपुर शर्मा की माँग है कि उनके ऊपर इस मामले में विभिन्न राज्यों में दर्ज FIR को एक साथ कहीं स्थानांतरित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दो जजों ने पहली सुनवाई के दौरान उन पर कड़ी टिप्पणी भी कर डाली थी।
नूपुर शर्मा की तरफ से अधिवक्ता मनिंदर सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए, वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से मेनका गुरुस्वामी पेश हुईं। नूपुर शर्मा ने अपने वकील के माध्यम से बताया की अदालत के आदेश के बावजूद पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उन्हें समन भेजे जा रहे हैं। जस्टिस सूर्यकान्त ने कहा कि हम आरोपों को जाँचने नहीं जा रहे हैं, मोहम्मद जुबैर के मामले में जो निर्णय सुनाया गया, हम उसी पर रहेंगे।
बता दें कि AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को हिन्दुओं की भावनाएँ आहत करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उसके आदेश के बावजूद 2 नए FIR दर्ज कर लिए गए हैं। नूपुर शर्मा ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण दलील यह है कि उनके जीवन को खतरा है। बंगाल सरकार द्वारा दलील दी गई कि नूपुर शर्मा के बयान का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल में देखने को मिला और आरोपित को खुद के लिए ज्यूरिडिक्शन (न्याय क्षेत्र) चुनने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
बंगाल सरकार ने कहा कि सबसे ज्यादा हंगामा वहीं हुए। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे जाँच का विषय बताया। बंगाल सरकार ने इस पर आपत्ति जताई कि सभी FIR को पश्चिम बंगाल या महाराष्ट्र की जगह दिल्ली क्यों भेजा जा रहा है। जस्टिस सूर्यकान्त ने कहा कि हम आरोप-प्रत्यारोप में न जाकर FIR की बात कर रहे हैं। नूपुर शर्मा की दलील थी कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट में उन्होंने FIR दर्ज कराई थी, इससे जाँच की दिशा नहीं बदल जाएगी।
बंगाल सरकार ने इस पर भी आपत्ति जताई कि पहली बार जब नूपुर शर्मा की माँग को नकार दिया गया था, उसके बावजूद वो वही प्रार्थना लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुँच गईं। बंगाल सरकार के वकील ने ये कहते हुए जॉइंट SIT की माँग की कि दोनों तरफ के कई नेताओं ने नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 जुलाई के बाद हुई कुछ घटनाओं के बाद उसने फिर से इस पर विचार करने का निर्णय लिया।
Guruswamy: Maharashtra is first FIR and State of West Bengal has had the maximum impact. Where is Delhi on the radar?
— Bar & Bench (@barandbench) August 10, 2022
Singh: a citizen is seeking protection.
Guruswamy: yes we saw the citizen on TV#Nupursharma @NupurSharmaBJP
बंगाल सरकार ने कहा कि इस मुद्दे ने पूरे देश में आग लगा दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर शर्मा के जीवन पर खतरे को देखते हुए वो दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हुआ। तब बंगाल सरकार के वकील ने अधिकतम सुरक्षा दिए जाने का वादा किया। लेकिन, जस्टिस सूर्यकान्त ने कहा कि ऐसी स्थिति पैदा न की जाए जहाँ हम, आप और वो सभी तनाव में रहें। इसके बाद बंगाल सरकार कोर्ट के निगरानी वाली SIT पर अड़ गई।
बंगाल सरकार बार-बार जोर देती रही कि नूपुर शर्मा के बयान से कानून का उल्लंघन हुआ है और माहौल को क्षति पहुँची है। साथ ही कुछ राज्यों पर याचिकाकर्ता का समर्थन करने का आरोप भी लगाया, हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये सुनवाई इन सब पर विचार करने के लिए नहीं हो रही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 मई को ‘टाइम्स नाउ’ पर आए डिबेट के बाद नूपुर शर्मा के खिलाफ देश के कई हिस्सों में FIR व शिकायतें दर्ज की गई, जिसे रद्द करने या एक साथ कहीं स्थानांतरित करने के लिए याचिकाकर्ता ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पीढोने में दर्ज FIR को इस मामले की पहली FIR माना और दिल्ली में नूपुर शर्मा द्वारा दर्ज कराई गई FIR का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नूपुर शर्मा के जीवन पर गंभीर खतरे और पिछली कई घटनाओं को देखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को इन FIR को रद्द कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने का अधिकार है, क्योंकि ‘कॉज ऑफ एक्शन’ दिल्ली में हुआ। दिल्ली पुलिस को महाराष्ट्र में दर्ज FIR की भी साथ में जाँच करने का निर्देश दिया गया।
Bench : We direct that all the FIRs be transferred and clubbed for the purpose of investigation to Delhi Police. The Delhi Police shall ensure that the first FIR (of Maharashtra) along with FIR dated 8 June are investigated together by clubbing the other FIRs in different parts
— Live Law (@LiveLawIndia) August 10, 2022
उस दौरान वैकेशन बेंच ने उनके बयान को पूरे देश में आग लगाने के लिए जिम्मेदार बताते हुए उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था, जिसे न्यायिक विशेषज्ञों ने न्यायपालिका के इतिहास पर एक काला धब्बा करार दिया था। नूपुर शर्मा पर 7 राज्यों में 9 FIR दर्ज हैं, जिन्हें वो दिल्ली ट्रांसफर करने की माँग कर रही हैं। लेकिन, पिछली बार दोनों जजों ने कह दिया था कि देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए ‘सिर्फ और सिर्फ’ नूपुर शर्मा ही जिम्मेदार हैं। उनके बयान को गैर-जिम्मेदाराना और उन्हें दंभी बता दिया गया।