Friday, May 3, 2024
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गणतंत्र दिवस पर न गाएँ वंदे मातरम, ‘भारत माता की जय’ भी न बोलें: देवबंद दारुल उलूम का फ़तवा

"इस्लाम में सिर्फ़ अल्लाह की इबादत होती है। भारत माता की जय बोलते समय एक प्रतिमा का ख़याल आता है, इसी कारण मुस्लिमों को यह नारा नहीं लगाना चाहिए।"- मुफ़्ती तारिक़ क़ासमी

एक ओर जहाँ सारा देश इस वक़्त 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की तैयारियों में व्यस्त है और बेसब्री से इंतज़ार भी कर रहा है, वहीं देवबंद उलेमा ने एक विवादित फ़रमान जारी कर दिया है कि गणतंत्र दिवस पर वन्दे मातरम न गाया जाए। इसी के साथ ‘भारत माता की जय’ बोलने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।

मदरसा जामिया हुसैनिया के मुफ़्ती तारिक़ कासमी ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर वंदे मातरम न गाने और ‘भारत माता की जय’ भी न बोलने पर पाबंदी लगा दी है। इस बात पर उन्होंने तर्क दिया है कि वन्देमातरम और भारत माता के नारे इस्लाम के ख़िलाफ़ हैं।

उनके अनुसार, “इस्लाम में सिर्फ़ अल्लाह की इबादत होती है। भारत माता की जय बोलते समय एक प्रतिमा का ख़याल आता है, इसी कारण मुस्लिमों को यह नारा नहीं लगाना चाहिए।” अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम सिर्फ़ हिंदुस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगा सकते हैं और देशभक्ति ज़िन्दा रखने का यही तरीका सही है। उन्होंने पूछा कि वन्दे मातरम में ऐसा कौन सा शब्द है जो इस बात की दलील देता हो कि यह देशभक्ति है?

मुफ़्ती तारिक़ कासमी ने कहा कि मुस्लिमों ने पहले भी देशभक्ति नारे लगाए हैं और आगे भी लगाते रहेंगे, लेकिन ‘भारत माता की जय’ के नारे बिल्कुल नहीं लगाएँगे। इस किस्से के चर्चा में आने के बाद उलेमा ने कारण दिया है कि वन्दे मातरम गाने और ‘भारत माता की जय’ बोलने से देशभक्ति साबित नहीं होती है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद गणतंत्र दिवस पर अपने छात्रों के बाहर आने-जाने पर पाबंदी का फ़रमान जारी कर चुका है। पाबंदी के लिए जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार, अगर 26 जनवरी के मौक़ पर छात्र बाहर जाते हैं तो उन्हें कई मुसीबतों का का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कहा गया था कि इस दौरान उनका उत्पीड़न हो सकता है। इस नाते एहतियाद बरतते हुए छात्र संस्थान परिसर से बाहर न जाएँ, इसके साथ ही छात्रों को ट्रेन में सफर न करने को भी कहा गया था।

अपने अज़ीबोग़रीब फ़तवों को लेकर अक्सर चर्चा में आने वाले इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के इफ़्ता विभाग (फ़तवा विभाग) ने इसी जनवरी माह में मोबाइल फोन से सेल्फ़ी लेने पर फ़तवा जारी करते हुए कहा था कि यह नाजायज़ चीज़ है। उन्होंने बयान दिया था कि सेल्फ़ी के सोशल मीडिया पर प्रकाशित होने से मर्दों और औरतों की नज़र इस पर पड़ती है, जिससे बेशर्मी बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा था कि सिर्फ़ सरकारी दस्तावेज़ों के लिए ही फ़ोटो ली जानी चाहिए।

इसके अलावा फ़तवा विभाग ने कहा था कि सार्वजानिक स्थानों और शादी- विवाह में महिला और पुरुषों को साथ खाना नहीं खाना चाहिए और औरतों को सलीके से ही कपड़े पहनकर जाना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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